‘कालीन भैया’ और ‘सुल्तान कुरैशी’ के नाम से मशहूर एक्टर पंकज त्रिपाठी अपनी दमदार एक्टिंग से फैंस को लुभाने में हमेशा कामयाब होते हैं। देश के चुनिंदा शानदार एक्टर्स में पंकज त्रिपाठी का नाम टॉप लिस्ट में आता है। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘मिर्जापुर’ और ‘मिमी’ फिल्मों में शानदार अभिनय करने वाले एक्टर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी हासिल है। ये उन्हें ‘मिमी’ में सपोर्टिंग किरादर के लिए मिला था। अब पंकज त्रिपाठी जल्द ही फिल्म ‘मैं अटल हूं’ में नजर आएंगे। इस फिल्म में वो देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के किरदार में नजर आने वाले हैं। इसी फिल्म पर बात करने के लिए पंकज त्रिपाठी लोकप्रिय शो ‘आप की अदालत’ के कटघरे में इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों का सामना करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने अपने एक आदात के बारे में बात की और बताया कि कमिटमेंट करने के बाद वो पीछे नहीं हटते हैं और इसी वजह से उन्हें कई बार दर्द और तकलीफ का भी सामना करना पड़ा है। ऐसी ही ’83’ की शूटिंग के दौरान भी हुआ था।
रिब्स में हुए थे फ्रैक्चर
पंकज त्रिपाठी ने बताया, ‘रिब्स में फ्रैक्चर हुए थे। रात भर सो नहीं पाया था। सुबह पता चला कि अगले दिन ‘मिर्जापुर’ के सेट पर जाना था। उस रैली का सीन था, जहां स्टेज पर माधवी, मुन्ना और मैं हूं। उस सीन को किया और फिर दूसरे सेट पर गया, जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म का शूट था। इसके लिए बांद्रा गया और ताज होटल में फोटोशूट किया। इसके बाद मुझसे रहा नहीं जा रहा था, दर्द के मारे। पेनकिलर खाने के बाद भी दर्द बहुत ज्यादा था। ऐसी स्थिति में मैं लीलावती अस्पताल गया। एक्सरे हुआ तो पता चला दो फ्रैक्चर हैं रिब्स में। डॉक्टर्स ने कहा कि आप रेस्ट करो इसका कोई प्लास्टर नहीं होता। खुद हीलिंग होगी, लेकिन इसके लिए काफी आराम चाहिए। इसके अगले दिन ही मेरी लंदन जाने की फ्लाइट थी, वहां ’83’ की शूटिंग थी। वही कमिटमेंट था तो क्या करते। वहां सबको मालूम था तो लोग पहले मेरे शॉट्स लिए, जैसे ही शॉट खत्म होता था, मैं आस-पास रखे बिस्तर पर लेट जाता था। पांच-छह दिनों में दर्द कम हो गया था, लेकिन हीलिंग होने में काफी ज्यादा वक्त लगा।’
अब ये आदत छोड़ेंगे पंकज त्रिपाठी
इसके साथ ही एक्टर ने कहा कि वो अब ऐसे कमिटमेंट नहीं करेंगे, जिसमें उन्हें तकलीफ उठानी पड़े। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कई बार हुआ है कि कमिटमेंट के चलते उन्हें कुछ रोल करने पड़े। बीमारी और दर्द के बावजूद भी उन्होंने काम को चुना। इसकी वजह भी उन्होंने बताई और कहा कि एक फिल्म को बनाने में 200-250 लोग लगे होते हैं और कमिटमेंट पूरा न होने पर सभी के काम पर असर पड़ता है।
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