गोविंदा, मिथुन और संजय दत्त की 37 साल पहले आई फिल्म, जिसने मेकर्स की कराई चांदी, ब्लैक में बिके थे टिकट


Govinda
Image Source : YOUTUBE/SOHAM ROCKSTAR ENTERTAINMENT
गोविंदा, संजय दत्त और मिथुन चक्रवर्ती की इस फिल्म ने दिखाया था कमाल।

ओटीटी के चलते अब दर्शकों में सिनेमाघरों में फिल्म देखने का उत्साह पहले से कम हो चुका है। कई बड़ी फिल्में सीधे ओटीटी पर रिलीज की जा रही हैं, लेकिन एक समय था जब फिल्में सिर्फ और सिर्फ सिनेमाघरों में ही रिलीज होती थीं और अपने फेवरेट स्टार को देखने के लिए सिनेमा दर्शक टिकट खिड़की पर उमड़ पड़ते थे। कई बार तो दर्शक लंबी कतारों में खड़े होकर घंटों अपनी बारी का इंतजार करते। 80 के दशक में एक ऐसी ही फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई, जिसकी 15 दिन तक टिकट अवेलेबल नहीं थी। इस फिल्म में गोविंदा, संजय दत्त और मिथुन चक्रवर्ती जैसे स्टार लीड रोल में नजर आए थे और करीब 15 दिन तक सिनेमघरों के बाहर हाउसफुल का बोर्ड लगा रह गया था। ऐसे में इस फिल्म के टिकट ब्लैक में भी खूब बिके।

गोविंदा, संजय दत्त और मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म

हम जिस फिल्म की बात कर रहे हैं उसका नाम ‘जीते हैं शान से’ है, जो 1988 में रिलीज हुई थी और इसमें उस दौर के तीन बड़े स्टार संजय दत्त, गोविंदा और मिथुन चक्रवर्ती लीड रोल में नजर आए थे। तीनों सुपरस्टार्स की मौजूदगी ने इस फिल्म को और खास बना दिया और सिनेमघरों में दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी। खासतौर पर मुंबई में करीब 15 दिन तक सिनेमाघरों के बाहर हाउसफुल का बोर्ड लगा रहा। ये फिल्म उन दिनों सिर्फ 2 करोड़ में बनी थी और बॉक्स ऑफिस पर 8 करोड़ का कलेक्शन किया था।

फिल्म में नजर आईं ये हसीनाएं

इस फिल्म में संजय दत्त, गोविंदा और मिथुन चक्रवर्ती के अलावा मंदाकिनी और विजेता पंडित भी लीड रोल में नजर आई थीं और अहम किरदार निभाया था। इस फिल्म के गाने भी काफी हिट हुए, जिनमें से एक ‘जूली जूली, जॉनी का दिल तुम पे आया जूली’ आज भी खूब सुना जाता है। ये गाना आज भी हिट है। गाना मिथुन चक्रवर्ती और मंदाकिनी पर फिल्माया गया था, जिसने हर तरफ धूम मचा दी थी।

क्या थी ‘जीते हैं शान से’ की कहानी?

फिल्म की कहानी की बात करें तो इसकी कहानी तीन दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं। लेकिन, इसी बीच इन तीनों जिगरी दोस्तों में किसी बात को लेकर अनबन हो जाती है और कुछ असामाजिक तत्व इसका फायदा उठाने की कोशिश करने लगते हैं। 1988 में रिलीज हुई ये फिल्म उस दौर की सबसे शानदार मल्टी स्टारर फिल्मों में से एक थी, जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचकर लाने में सफल रही।

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