90 साल बाद खोला गया चेकोस्लोवाकिया के पहले राष्ट्रपति से जुड़ा मुहरबंद लिफाफा, जानें छिपा था कौन सा राज


चेकोस्लोवाकिया के पहले राष्ट्रपति तोमाश गैरीग मासारिक  (बाएं से पहले) (फोटो 1927)- India TV Hindi
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चेकोस्लोवाकिया के पहले राष्ट्रपति तोमाश गैरीग मासारिक (बाएं से पहले) (फोटो 1927)

प्रागः चेकोस्लोवाकिया के प्रथम राष्ट्रपति तोमाश गैरीग मासारिक से जुड़ा एक सील बंद लिफाफा 90 साल बाद खोला गया। लिफाफा खुला तो हर कोई हैरान रह गया। पहले इस पर काफी अटकलें लगाई जा रही थीं कि चेक गणराज्य में इस लिफाफे में क्या हो सकता है। कुछ लोगों का मानना था कि यह सोवियत रूस द्वारा उत्पन्न खतरों के बारे में एक चेतावनी हो सकती है। मगर लिफाफा खुलते ही 90 साल का गंभीर राज बाहर आ गया।

लिफाफे में क्या था?

यह लिफाफा चेकोस्लोवाकिया के पहले राष्ट्रपति तोमाश गैरीग मासारिक से ही जुड़ा था। इसे पूरे 90 वर्षों बाद खोला गया। इसमें पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा था, “मैं बीमार हूं, गंभीर रूप से बीमार हूं, लेकिन मुझे डर नहीं लग रहा।” इस रहस्यमयी लिफाफे को 90 साल बाद इतिहासकारों द्वारा टीवी पर लाइव खोला गया। अंततः इसमें पांच पन्नों के नोट थे, जो ज्यादातर अंग्रेज़ी में मासारिक के पुत्र जान मासारिक द्वारा लिखे गए थे, जिसमें उनके पिता की कही बातें दर्ज थीं।

क्या राष्ट्रपति ने खुद लिखा था पत्र में कही गईं बातें?

तत्कालिक समीक्षा कर रहे इतिहासकारों ने कहा कि लेखन शैली प्रथम राष्ट्रपति के बेटे की है। इतिहासकारों का मानना है कि यह रिकॉर्ड 1934 से लिखा गया हो सकता है, जो मासारिक की मौत 1937 से कई साल पहले है। मासारिक संस्थान और राष्ट्रीय अभिलेखागार के विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि यह सामग्री प्रामाणिक है। अंग्रेज़ी में रिकॉर्ड करने का निर्णय जान मासारिक की एक सामान्य प्रथा को दर्शाता है, जो लंदन में राजनयिक के रूप में काम कर चुके थे और बाद में चेकोस्लोवाकिया लौटे थे।

इतिहासकारों ने दी ये राय

इतिहासकारों के अनुसार पत्र में लिखे गए शब्दों में व्यक्तिगत विचार और राजनीतिक टिप्पणियां दोनों शामिल हैं। इसे एक एकल, सुसंगत “पत्र” के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके बजाय इसे नोट्स या डिक्टेशन का संग्रह के तौर पर समझा जा सकता है, जो मासारिक की बीमारी के दौरान उनके दुर्बल होने पर और उनकी विरासत पर विचार करते हुए बनाए गए थे। इतिहासकारों का कहना है कि “मैं बीमार हूँ, गंभीर रूप से बीमार हूँ, लेकिन मुझे डर नहीं लग रहा,” जान मासारिक ने नोट की शुरुआत में अपने पिता के शब्द उद्धृत किए। 

2005 में पत्र मिलने के बाद भी 2 दशक तक नहीं खोला गया

यह लिफाफा 2005 से चेक राष्ट्रीय अभिलेखागार में बंद था, जब इसे जान मासारिक के सचिव अंतोनिन सुम ने जमा किया था, साथ ही इसे दो दशकों के लिए सील रखने का निर्देश दिया था। मासारिक की सांकेतिक महत्ता को देखते हुए इसका खुलना चेक गणराज्य में व्यापक ध्यान आकर्षित कर रहा है। मासारिक एक दार्शनिक-राजनेता थे, जिन्हें 1918 में स्वतंत्र चेकोस्लोवाकिया की स्थापना का श्रेय दिया जाता है।

राष्ट्रपति की 1935 में क्यों छोड़ना पड़ा था पद?

मासारिक ने 1935 में स्वास्थ्य खराब होने के कारण पद छोड़ दिया और सितंबर 1937 में पश्चिमी बोहेमिया के एक गांव में 87 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। हालांकि, अभी खोला गया दस्तावेज़ उनके अंतिम दिनों का नहीं हो सकता। इतिहासकार डैगमार हैजकोवा ने कहा कि संभव है कि अन्य व्यक्ति, जिनमें मासारिक के करीबी सहयोगी और बाद के राष्ट्रपति एडुआर्ड बेनेश शामिल हैं, इस सामग्री को तैयार करने में शामिल रहे हों।

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