
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
रविवार आधी रात को क्रिकेट की दुनिया में चमत्कार हुआ। भारत की बेटियां, पहली बार महिला क्रिकेट की विश्व चैंपियन बनी। आधी रात को देशभर में जश्न मना जब महिला क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका को हराया। ये जीत आसानी से नहीं मिली। मैच में बार बार बाजी पलटती रही। खचाखच भरे स्टेडियम में और टीवी पर देखने वाले करोड़ों दर्शकों के दिल धड़कते रहे। कई बार मैच हाथ से फिसला लेकिन हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम ने जबरदस्त टक्कर दी। जब जब दक्षिण अफ्रीका की टीम जीत की तरफ बढ़ी तो विकेट उड़ा दिए, फील्डिंग में जान लगा दी, वर्ल्ड कप जीतकर दिखाया।
इस फाइनल मैच की, इस जीत की कहानी जितनी दिलचस्प है, इस टीम की एक-एक खिलाड़ी की कहानी उतनी ही कमाल की है। जब पूरा देश जीत के जश्न में डूबा था, उस वक्त चैंपियन बेटियां वर्ल्ड कप ट्रॉफी को सीने से लगाकर बैठी थीं। भारत महिला वर्ल्डकप के फाइनल में 2005 में पहुंचा, फिर 2017 में भी फाइनल तक पहुंची, लेकिन ट्रॉफी उठाने का मौका नहीं मिला। इस बार वो इंतजार खत्म हुआ, इसलिए टीम का कोई मेंबर ट्रॉफी को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ना चाहता था। स्मृति मंधाना, जेमाइमा रोड्रिग्स, राधा यादव और क्रांति गौड़ ने सुबह सुबह सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट की। इन खिलाड़ियों ने बताया कि वो रात भर ट्रॉफी को सीने से लगाकर ही सोईं और सोमवार सुबह जब आंख खुली तो सामने वर्ल्डकप ट्रॉफी ही थी।
विश्व कप जीतने के बाद अब हरमनप्रीत भारत को विश्व कप जिताने वाले कैप्टन्स कपिल देव, महेन्द्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा के क्लब में शामिल हो गईं। भारत की महिला टीम ने पहला इंटरनेशनल मैच 1976 में खेला और पचास साल के इंतजार के बाद भारत की बेटियां वर्ल्ड चैंपियन बन गईं। ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीमों को हराया। इसीलिए ये खुशी दुगुनी हो गई। अब क्रिकेट जेंटलमेन्स गेम नहीं है। क्रिकेट अब everyone’s game है। कैप्टन हरमनप्रीत ने जीत के बाद यही संदेश दिया। ICC ने भी आज धोनी और हरमन को एक फ्रेम में सेट कर दिया।
विश्वकप फाइनल के बाद देश को कई नए स्टार्स मिले हैं– हरमनप्रीत, स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा तो पहले से ही established प्लेयर्स हैं। लोग इन्हें जानते हैं, पहचानते हैं, लेकिन इस टूर्नामेंट ने जेमाइमा रॉड्रिग्स, रेणुका सिंह, प्रतिका रावल, शेफाली वर्मा, श्री चरणी, राधा यादव, ऋचा घोष और अमनजोत कौर का नाम भी घर-घर तक पहुंचा दिया। फाइनल मैच का टर्निंग प्वाइंट था साउथ अफ्रीका की कैप्टन लॉरा वॉलवॉर्ट का विकेट। लॉरा क्रीज पर दीवार की तरह खड़ी थीं लेकिन अमनजोत कौर ने बाउंड्री लाइन पर शानदार कैच पकड़कर लॉरा वॉलवॉर्ट को वापस पैवेलियन भेज दिया।
अमनजोत कौर ऑलराउंडर हैं। मोहाली के एक लोअर मिडिल क्लास परिवार से आती हैं। घर की हालत ऐसी नहीं थी कि बेटी को क्रिकेट की किट दिला सके, इसलिए अमनजोत मुहल्ले के लड़कों का बैट उधार लेकर खेलती थीं। अमनजोत के पिता ने बताया कि लड़कों के साथ खेलने के लिए अमनजोत ने बाल कटवा लिए, वो लड़कों के गैटअप में ही रहती थी। मजे की बात ये है कि अमनजोत ने पहला मैच भी लड़कों के टूर्नामेंट में खेला। रेणुका की मां ने कहा कि अगर आज रेणुका के पिता जिंदा होते तो सबसे ज्यादा खुश होते क्योंकि बेटी ने उनका सपना पूरा किया है। दीप्ति शर्मा ने भी कमाल किया, वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं। फाइनल मैच में 58 रन बनाए और पांच विकेट चटकाए। दीप्ति ने एक और रिकॉर्ड बनाया। वर्ल्ड कप में दो सौ से ज्यादा रन बनाने और 15 से ज्यादा विकेट लेने वाली पहली खिलाड़ी बनीं। दीप्ति ने 225 रन बनाए और 22 विकेट लिए।
आगरा की रहने वाली दीप्ति के बड़े भाई क्रिकेट खेलते थे। भाइयों के देखकर दीप्ति को भी क्रिकेट का शौक लगा। उनके भाई सुनीत राज्य स्तर के खिलाड़ी हैं, जब राष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पाये, तो क्रिकेट की अकादमी खोल दी। इसी अकादमी में दीप्ति ने ट्रेनिंग ली। शेफाली वर्मा की कहानी तो और भी दिलचस्प है। टीम इंडिया में शेफाली का चयन किस्मत से हुआ। सेमीफाइनल से पहले ओपनर प्रतिका रावल घायल हो गई तो शेफाली को टीम में जगह मिली। फाइनल में शेफाली ने 87 रन बनाए, स्मृति मंधाना के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 104 रन की साझेदारी की। वो सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानती हैं। हरियाणा के रोहतक की रहने वाली शेफाली के पिता संजीव वर्मा ने बताया कि उनके पास बेटी के लिए दस्ताने और बैट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, शेफाली फटे दस्ताने पहनकर खेलती थीं।
महिला क्रिकेट में विश्व चैम्पियन का ताज एक रात में नहीं मिला। एक ज़माना था, जब मिताली राज, अंजुम चोपड़ा, झूलन गोस्वामी जैसी खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। उस जमाने में महिला क्रिकेटरों के लिए कोई सुविधा नहीं थी। मैच खेलने के लिए रेलवे के unreserved compartment में travel करना पड़ता था, अपने beddings साथ ले जाने पड़ते थे, Floor पर सोना पड़ता था, महिला क्रिकेटर्स के साथ BCCI का कोई सालाना अनुबंध नहीं था। 2005 में जब महिला क्रिकेट टीम विश्व कप में runners up रही, तो हर खिलाड़ी को प्रति मैच 1000 रुपये मिले। 8 games के कुल 8000 रुपये और इस बार World Championship जीतने पर BCCI ने Women’s Team को 51 करोड़ रुपये का ईनाम दिया।
अब BCCI से हरमनप्रीत और स्मृति मंधाना जैसी A-grade players को 50 लाख रुपये की annual fee मिलती है। ये बदलाव सिर्फ 3 साल पहले आया। जय शाह ने Men’s और Women’s Cricket team की match fee के फर्क को खत्म किया, Pay parity introduce की। महिला खिलाड़ियों को अब Test के लिए 15 लाख रु, One day के लिए 6 लाख रुपये और T-20 के लिए 3 लाख रुपये की fee मिलती है। Coaching, Training, Medical Facilities में पिछले 5 साल में Women Cricket में 16 गुना निवेश बढ़ा है। देश की बेटियों को ज़रा सा सहारा मिले, अवसर मिले तो वो कमाल कर सकती हैं। ये उन्होंने साबित कर दिया। लेकिन महिला क्रिकेट को अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। World Championship तो एक झांकी है, पिक्चर अभी बाकी है।
बिहार: नीतीश के कैंपेन में इतना दम कहां से आया?
बिहार में पहले चरण के चुनाव का प्रचार आज खत्म हो जाएगा। सभी पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और तेजप्रताप यादव से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक सभी नेता मैदान में दिखाई दिए। पहली बार लालू प्रसाद यादव भी तेजस्वी के लिए वोट मांगने घर से बाहर निकले लेकिन सोमवार को राहुल गांधी बिहार में दिखाई नहीं दिए। इसीलिए मोदी ने कहा कि RJD ने कनपटी पर कट्टा रखकर कांग्रेस से तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करवाया है, इसीलिए कांग्रेस के नेता नाराज हैं, भीतर ही भीतर RJD का खेल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
मोदी की ये बात तेजस्वी को तीर की तरह चुभी। तेजस्वी ने कहा ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने वाला प्रधानमंत्री अब तक नहीं देखा। मोदी ये तो बता नहीं रहे कि NDA ने बीस साल में बिहार के लोगों के लिए क्या किया, इसलिए कट्टे बंदूक की बात करके लोगों को गुमराह करना चाहते हैं, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होगा। मोदी के हमले का जवाब दिया प्रियंका गांधी ने। प्रियंका ने सहरसा की रैली में कहा कि जहां जहां चुनाव होता है, वहां मोदी लोगों को बहकाने के लिए गालियों का जिक्र करते हैं। बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री एक अपमान मंत्रालय ही बना दें और खुद अपने काम पर ध्यान दें।
योगी आदित्यनाथ पूरे फॉर्म में थे। उन्होंने तेजस्वी यादव, राहुल गांधी और अखिलेश यादव को अलग अंदाज में निशाना बनाया। बिना नाम लिए तीनों की तुलना तीन बंदरों से की। कहा कि अप्पू, पप्पू और टप्पू नाम के तीन बंदर बिहार में घूम रहे हैं। एक, सच बोलना नहीं चाहता, दूसरा सच सुनना नहीं चाहता और तीसरा सच देखना नहीं चाहता। बिहार की जनता ऐसे बंदरों का कभी समर्थन नहीं करेगी। अखिलेश ने कहा जो लोग आईना देखकर आते हैं, उन्हें हर तरफ़ बंदर नज़र आते हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी के नेता बार बार जंगलराज की बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने बंडल राज के जाने का डर सता रहा है। वैसे तो बिहार के चुनाव में बड़े बड़े दिग्गज प्रचार कर रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार का जलवा देखकर उनकी अपनी पार्टी के नेता और उनके विरोधी दोनों हैरान हैं।
चुनाव से पहले नीतीश कुमार की सेहत को लेकर सवाल उठाए गए थे। उन्हें बेहोश और अचेत कहा गया, पर वो सबसे ज्यादा focused campaign कर रहे हैं। नीतीश कुमार 20 साल से मुख्यमंत्री हैं। सब आश्चर्यचकित हैं कि उनके खिलाफ Anti Incumbency क्यों नहीं दिखाई देती। सब मानते हैं कि नीतीश कुमार को अपना मानने वाले अति-पिछड़ा वर्ग के लोग आज भी उनके साथ हैं। ये भी दिखाई देता है कि महिलाओं में नीतीश कुमार के प्रति अति विश्वास है। तेजस्वी ने नीतीश को कभी पलटू चाचा कहा, कभी पुतला कहा पर वो भी नहीं समझ पाए कि बिहार के चुनाव में नीतीश कुमार इतने बड़े champion बनकर कैसे उभरे।
बंगाल में SIR का खौफ क्यों?
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में मंगलवार से वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न यानी S.I. R. शुरू हो गया, लेकिन S.I. R. को लेकर बंगाल में ख़ौफ़ का माहौल है। कोलकाता नगर निगम और वीरभूमि में सरकारी दफ्तर के बाहर जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र लेने वालों की लम्बी कतारें लगी हैं। कोई अपने बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनवा रहा है, कोई अपने माता-पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र लेने के लिए लाइन में है। बंगाल के कई ज़िलों में लोग बैंक खातों से अपना पैसे निकाल रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि वोटर लिस्ट से नाम कटा तो कहीं उनकी नागरिकता न चली जाए, उनका पैसा जब्त न हो जाए।
असल में बीरभूम में अफ़वाह फैली हुई है कि जिन लोगों के नाम या उनके मां-बाप के नाम 2002 की वोटर लिस्ट में नहीं होंगे, उनको देश से बाहर निकाल दिया जाएगा, उनके बैंक खाते freeze कर दिए जाएंगे। बीरभूम के इलम बाज़ार, बांध-पाड़ा और नीचू पाड़ा इलाक़े में सैकड़ों लोगों ने इसी अफ़वाह को सुन कर बैंक में जमा अपनी रक़म निकाल ली। बीरभूम के इलम बाज़ार में ज़्यादातर हिंदू रहते हैं। उनका कहना है कि उनके मां-बाप 30-35 साल पहले भारत आए थे। हालांकि, उनके पास नागरिकता का की दस्तावेज नहीं है, इसी वजह से उनकी टेंशन SIR ने बढ़ा दी है।
चुनाव आयोग बार बार ये साफ कर चुका है कि वोटर लिस्ट के रिवीजन से किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी। बिहार में भी वोटर लिस्ट रिवाइज की गई, लाखों लोगों के नाम कटे लेकिन किसी को देश तो नहीं निकाला गया, इसलिए डरने की जरूरत नहीं हैं। अगर किसी को कन्फ्यूजन है तो इसको लेकर चुनाव आयोग की हैल्पलाइन नंबर पर संपर्क करके सही जानकारी ले सकते हैं। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 03 नवंबर, 2025 का पूरा एपिसोड
