
मोहम्मद यूनुस, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया।
ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बड़ी साजिश रच दी है। मोहम्मद यूनुस की कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को एक ऐसे नये अध्यादेश को मंजूरी दी है, जिसके जरिये अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना समेत उनके करीबी 15 सैन्य अधिकारियों को मौत की सजा देने की गुप्त तैयारी है। यह अध्यादेश ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और 15 सेवारत सैन्य अधिकारियों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर मुकदमा चल रहा है।
यूनुस सरकार ने कानून को बताया ऐतिहासिक
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने सलाहकार परिषद (मंत्रिमंडल) द्वारा मसौदे को मंजूरी दिए जाने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक कानून है। जो कि सुनिश्चित करेगा कि देश में जबरन गायब होने की घटनाएं फिर कभी न हों।’’ उन्होंने कहा कि यह कानून ‘तथाकथित अयनाघर’ जैसे गुप्त निरुद्ध केंद्रों की स्थापना को अपराध बनाता है और अदालतों को आरोप दायर होने के 120 दिनों के भीतर प्रस्तावित कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए बाध्य करता है। इस मसौदा अध्यादेश में ‘जबरन गायब किये जाने’ जैसे अपराध के दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है।
राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार
अंतरिम सरकरा द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद इसको अब राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की स्वीकृति का इंतजार है। इसके बाद यह अध्यादेश संभवतः 15 सैन्य अधिकारियों, हसीना और अपदस्थ सरकार में उनके कई सहयोगियों के मामले में लागू किया जाएगा, इनमें पूर्व पुलिस प्रमुख भी शामिल हैं। बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक ने 16 अक्टूबर को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए मृत्युदंड की मांग की और आरोप लगाया कि वह पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान किए गए मानवता के खिलाफ अपराधों के पीछे ‘‘प्रमुख सूत्रधार’’ थीं।
हसीना सरकार पर 1400 लोगों की हत्या का आरोप
हसीना (78) बांग्लादेश में कई मामलों का सामना कर रही हैं। पिछले साल अगस्त में देश में बड़े पैमाने पर छात्र आंदोलन के बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हसीना सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा कार्रवाई के आदेश के कारण 1,400 लोग मारे गए थे। (भाषा)