
बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण
बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 101 सीटों के लिए पहले चरण का मतदान आज यानी 6 नवंबर को सुबह सात बजे से जारी है। शाम 5 बजे तक 60.13% से ज्यादा मतदाताओं ने वोटिंग की, जो पिछली बार 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ज्यादा है। आज सुबह से महिलाओं और युवाओं की लंबी लंबी लाइनें वोटिंग के लिए सुबह से ही मतदान केंद्रों पर दिखीं। हालांकि, उपमुख्यमंत्री और जदयू प्रत्याशी विजय सिन्हा पर हमले और राजद द्वारा महागठबंधन के “मज़बूत बूथों” में बिजली काटे जाने के आरोपों के कारण मतदान में कई बार बाधा उत्पन्न हुई। पहले चरण में सत्तारूढ़ एनडीए और फिर से उभर रहे महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।
बता दें कि 2020 में, राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने बढ़त हासिल की थी और एनडीए को 55 सीटों के मुकाबले 63 सीटें मिली थीं। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या इस बार के चुनाव में इतिहास खुद को दोहराता है, क्योंकि राजधानी पटना सहित जिन विधानसभा सीटों पर आज मतदान हुआ है, वो सीटें अक्सर बिहार की राजनीति की नब्ज तय करती रही हैं। पहले पहले चरण में कई मंत्रियों के साथ-साथ राजद नेता तेजस्वी यादव और राजद से अलग हुए उनके भाई तेज प्रताप की किस्मत भी तय होगी। तो वहीं, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को ‘एक्स’ फैक्टर बताया जा रहा है, जो इस बेहद रोमांचक मुकाबले में रोमांच का तड़का लगा रहे हैं।
पहले चरण की प्रमुख सीटों में राघोपुर सीट भी शामिल है, जहां पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे राजद नेता तेजस्वी यादव हैट्रिक लगाने की उम्मीद कर रहे हैं; तो वहीं तारापुर सीट से उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी भी जीत की आस लगाए बैठे हैं।

बिहार चुनाव
बिहार चुनाव के पहले चरण में क्या क्या खास रहा,10 प्वाइंट्स में जानें
- पहले चरण में सीएम नीतीश कुमार सरकार के कई मंत्री, जिनमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भी शामिल हैं, इन सभी मंत्रियों के चुनावी भाग्य का फैसला भी होगा। सिन्हा अगर इस बार चुनाव जीतते हैं तो लखीसराय सीट से उनकी लगातार चौथी जीत होगी, वहीं सम्राट चौधरी लगभग एक दशक बाद तारापुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
- सीवान की हाई-प्रोफाइल सीट से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष 53 वर्षीय मंगल पांडे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला राजद के अवध चौधरी से है, जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं।
- बता दें कि बिहार का कोई भी चुनाव बाहुबली राजनीति के बिना कैसे पूरा हो सकता है? इस बार भी, कई बाहुबली मैदान में हैं – मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब (रघुनाथपुर) से लेकर जदयू के अनंत सिंह और सूरजभान के रूप में परोक्ष में उनकी पत्नी वीणा देवी तक।
- मोकामा में एक जन सुराज समर्थक की हत्या के बाद, जो एक सामान्य विधानसभा चुनाव की लड़ाई लग रही थी, वह दो बाहुबली नेताओं के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल गई है। हत्या के सिलसिले में जेल में बंद जदयू के अनंत सिंह, राजद के गैंगस्टर सूरजभान की पत्नी के साथ सीधी टक्कर में हैं।
- महिलाओं के निर्णायक मतदाता समूह के रूप में उभरने के साथ, दोनों पक्षों ने बड़े-बड़े वादे किए हैं। एनडीए ने जहां 10,000 रुपये की नकद हस्तांतरण योजना के साथ लोगों को लुभाया है, वहीं विपक्ष ने तेजस्वी यादव द्वारा ‘माई बहन मान योजना’ के तहत 30,000 रुपये देने के वादे के साथ जवाब दिया है।
- यह चुनाव मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की छाया में हो रहे हैं, जिसमें लगभग 60 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया हाशिए पर पड़े समुदायों के लाखों लोगों को मताधिकार से वंचित करने का एक प्रयास है।
- पहले चरण की वोटिंग के दौरान राजद ने आरोप लगाया है कि महागठबंधन के “मजबूत बूथों” पर जानबूझकर मतदान धीमा करने के लिए बिजली आपूर्ति बीच-बीच में काटी जा रही है। पार्टी ने चुनाव आयोग से तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया है। बिहार चुनाव आयोग ने आरोपों को “पूरी तरह से निराधार और भ्रामक” बताते हुए खारिज कर दिया।
- राघोपुर में ज़ोरदार मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां तेजस्वी का मुकाबला भाजपा के सतीश कुमार से है, जिन्होंने 2010 के चुनावों में उनकी माँ राबड़ी देवी को हराया था। बगल की महुआ सीट पर, तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप मौजूदा राजद विधायक मुकेश रौशन से यह सीट छीनने की कोशिश करेंगे।
- लोक गायिका मैथिली ठाकुर, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, अलीनगर से चुनाव लड़ रही हैं, जो लंबे समय से राजद का गढ़ रहा है। भाजपा की सबसे युवा उम्मीदवार, ठाकुर, उच्च जाति के ब्राह्मण
- भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव, जो छपरा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, और रितेश पांडे, जो करगहर से जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, भी चुनावी समर में ताल ठोक रहे हैं।
