
NDA ने दी महागठबंधन को दी चुभने वाली हार।
Bihar Chunav Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों ने सियासत की धुंधली तस्वीर को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है। इन नतीजों में बिहार की जनता ने मोदी-नीतीश के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को रिकॉर्डतोड़ बहुमत दिया है। वहीं, आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन को दशकों तक चुभने वाली हार का सामना करना पड़ा है। बिहार चुनाव के ताजा रुझानों के मुताबिक, एनडीए को 202 और महागठबंधन को 35 सीटें मिलती दिख रही हैं। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि, बिहार की सियासत के इतिहास में RJD का इतना खराब प्रदर्शन कभी नहीं रहा। NDA की प्रचंड जीत और RJD ऐतिहासिक हार की एक वजह ‘MY’ फैक्टर भी है। यह ‘MY’ फैक्टर NDA और RJD के लिए कैसे अलग हैं इसके बारे में भी हम आपको बताएंगे।
NDA का ‘MY’ बनाम RJD का ‘MY’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी आज अपने संबोधन में NDA के सकरात्मक ‘MY’ फैक्टर का वर्णन किया है। पीएम ने इस नए’MY’ फैक्टर की परिभाषा महिला + युवा के तौर पर दी है। NDA के ‘MY (महिला + युवा) फैक्टर के दांव में महागठबंधन इस तरह उलझा कि उसे दशकों तक चुभने वाली हार का सामना करना पड़ा। वहीं, राजद की बात करें तो इनके ‘MY’ को मुस्लिम + यादव समीकरण से जोड़कर देखा जाता है जिसने इस बार लालू फैमिली की पार्टी को तगड़ा झटका दिया है।
‘MY’ ने बदली बिहार की सियासत
बिहार के राजनीतिक इतिहास में ‘MY’ का मतलब हमेशा से मुस्लिम + यादव रहा है, जो राजद की रीढ़ की हड्डी मानी जाती थी। हालांकि, 2025 के विधानसभा चुनाव में मोदी और नीतीश की जोड़ी ने ‘MY’ को नई परिभाषा दी जिसे महिला + युवा के तौर पर जाना गया। NDA ने अपने सकारात्मक ‘MY’ फैक्टर को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, शराबबंदी, सुरक्षा योजनाएं और लड़कियों की शिक्षा जैसी योजनाओं से सुदृढ़ करने का वादा किया जिसे उसने बंपर जीत दिलाने में सहयोग दिया। वहीं, युवाओं को जॉब, कौशल विकास और जंगलराज की याद दिलाकर भी NDA ने अपने वोटबैंक को मजबूत किया।
महिलाओं ने क्यों चुनी मोदी-नीतीश की जोड़ी
- बिहार के इस चुनाव में नीतीश ने महिला उद्यमियों को 10,000 रुपये की प्रारंभिक सहायता दी। ग्रामीण क्षेत्रों में यह राशि सीधे बैंक खातों में पहुंची, जिसने महिलाओं में NDA के प्रति भरोसे को मजबूत किया।
- नीतीश का शराबबंदी को महिला सुरक्षा और खुशहाली से जोड़ना महिलाओं को काफी पसंद आया। उनके इस संदेश ने ग्रामीण महिलाओं पर काफी गहरा असर डाला।
- नीतीश ने कई योजनाओं को बार-बार गिनाया। इनमें बालिका पोशाक योजना, साइकिल योजना, नौकरी में 35% आरक्षण जैसी महिला उत्थान की योजनाएं शामिल थीं। यही वजह रही कि इस चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी 62% तक पहुंची। गौरतलब है कि, ये आंकड़ा 2020 के 59.7% से काफी अधिक है।
युवाओं का NDA पर भरोसा
- यदि युवा वोटर्स के NDA के पक्ष में जाने की वजह का विश्लेषण करें तो कई वजहें सामने आएंगी। इनमें जंगलराज vs सुशासन का नैरेटिव सबसे पहले गिना जाएगा।
- नीतीश को हर सभा में ये कहते हुए सुना गया- ‘जाकर अपने घर वालों से पूछो, जंगलराज में क्या होता था?’
- नीतीश सरकार में युवाओं को 5 लाख से ज्यादा नौकरियां मिलना जिसमें शिक्षक, पुलिस, स्वास्थ्य कर्मी जैसे प्रोफेशन शामिल थे।
- युवाओं में नीतीश का क्रेज इसी बात से पता लगता है जब चुनाव प्रचार के दौरान मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर नहीं उड़ पाया तो नीतीश कुमार सड़क मार्ग से ही प्रचार करने निकल गए। इस बात ने युवाओं पर गहरा प्रभाव डाला।
यहां फेल हो गई तेजस्वी की गणित
- कांग्रेस के साथ गठबंधन करना
- सीटों के बंटवारे को लेकर राहुल गांधी के पीछे दौड़ना
- मुकेश सहनी के आगे झुकना और डिप्टी सीएम पद पर राजी होना
- वास्तविक मुद्दे को छोड़कर वोट चोरी जैसे मुद्दे पर भटकना
- महिलाओं की बंपर वोटिंग ने बिगाड़ा RJD का खेल
मुस्लिम-यादव वोटर्स की सेंधमारी
बिहार के चुनाव में मुस्लिम-यादव मतदाताओं का RJD से मोहभंग होना महागठबंधन की हार की बड़ी वजह मानी जा रही है। इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पर विश्वास जताया है। यही कारण रहा कि, ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 5 सीटें जीतीं। यदि यादव वोटर्स की बात करें तो राजद ने 50 सीटों पर यादव कैंडिडेट उतारे थे मगर इसका फायद उन्हें मिला। परिणामस्वरूप यादव वोटर्स ने भी RJD पर अविश्वास जताया। प्रश्न उठता है यादव वोटर्स का समर्थन किसे मिला ? तो जवाब है NDA को, क्योंकि केंद्र और राज्य की योजनाओं से एक ऐसा बड़ा लाभार्थी वर्ग तैयार हुआ जिसमें यादव बहुतायत में थे और उन्होंने भी एनडीए का ही साथ दिया।
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