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जेल में आसाराम

स्वयंभू उपदेशक आसाराम को छह महीने की जमानत मिलने पर नाबालिग रेप पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पीड़िता ने आसाराम की जमानत रद्द करने की मांग की है। 2013 के नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। इसी सजा में उसे राजस्थान हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को 6 महीने की जमानत दी थी। इसी आधार पर गुजरात हाईकोर्ट ने भी जमानत दे दी। अब पीड़िता ने याचिका दायर कर जमानत रद्द करने की मांग की है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने इलाज के लिए आसाराम को 6 महीने की जमानत दी। इसी आधार पर गुजरात हाईकोर्ट ने छह नवंबर को जमानत दी थी। पीड़िता की याचिका में आसाराम को जमानत देने के फैसले को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति इलेश वोरा और न्यायमूर्ति आरटी वच्छानी की पीठ ने आसाराम (84) को उसके इलाज के लिए अस्थायी जमानत देते हुए कहा था कि वे आसाराम को उसी आधार पर छह महीने की जमानत दे रहे हैं, जिस आधार पर उसे राजस्थान उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी।

आसाराम के वकील ने क्या कहा?

आसाराम के वकील ने पीठ के समक्ष राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश प्रस्तुत किया और उसकी चिकित्सा स्थिति पर विचार करने का अनुरोध किया। गुजरात सरकार का पक्ष रख रहे वकील ने आसाराम की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसे जो उपचार सुविधाएं जोधपुर जेल में नहीं मिल पाई हैं, वे उसे अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल में उपलब्ध कराई जा सकती हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर को आसाराम को छह महीने की जमानत दे दी थी। अदालत ने उसके वकील की इस दलील पर संज्ञान लिया कि उनका मुवक्किल लंबे समय से बीमार है और जेल में उसका उचित इलाज संभव नहीं है।

2023 में हुई थी सजा

गांधीनगर की एक अदालत ने बलात्कार के एक मामले में आसाराम को जनवरी 2023 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने आसाराम को 2013 में दर्ज एक मामले में दोषी ठहराया था। आसाराम पर आरोप था कि उसने सूरत की रहने वाली एक महिला शिष्या के साथ 2001 से 2006 के बीच कई बार तब दुष्कर्म किया जब वह अहमदाबाद के पास मोटेरा स्थित उसके आश्रम में रह रही थी। वह 2013 में राजस्थान स्थित अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के एक अन्य मामले में भी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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