
स्क्रीन टाइम और मेंटल हेल्थ
आज का युवा डिजिटल दुनिया की तेज रफ्तार में फंस चुका है। हर पल मोबाइल, सोशल मीडिया और एप्स की ओर खिंचा चला जा रहा है। एक ओर यह तकनीक हमारी दुनिया को आसान और मनोरंजक बनाती है, तो वहीं दूसरी ओर यह हमारी मानसिक संतुलन पर भारी प्रभाव डालती है। मोबाइल पर बिताया गया ज्यादा समय न केवल आंखों और शरीर को प्रभावित करता है, बिल्क सोचने समझने की क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति, यहां तक की मानसिक संतुलन को भी प्रभावित करता है। इसलिए डिजिटल युग में अपने मन और चेतना को पुन स्थिर करना, हर युवा के fलए जरूरी हो गया है। विश्व जागृत मिशन के संस्थापक सुधांशु जी महाराज, बता रहे हैं डिजिटल युग में मेंटल हेल्थ का ख्याल कैसे रखें?
स्क्रीन टाइम से पड़ता है कैसा प्रभाव?
लगातार स्क्रीन के संपक में रहने से भावनात्मक संतुलन प्रभावित होता है। यही वजह है कि आज का युवा ज्ञान की कमी, जल्दी गुस्सा आना और मानसिक थकान से जूझ रहा है। ज्यादा स्क्रीन टाइम कलात्मक शक्ति को समाप्त कर रहा है। युवाओं में दीर्घकालिक लक्ष्य और अनुशासन की आदत कमज़ोर पड़ती जा रही है। लाइक, कमेंट, शेयर की वजह से युवा के अवचेतन मन मे अस्थायी संतोष पैदा हो रहा है। जिससे उनके मन मे खालीपन जन्म ले रहा है। इसे भरने के लिए युवा क्षणभर भी खाली नही बैठ सकते और यह सब उनके विकास में बाधा बन रहा है।
मानसिक सुकून के लिए करें ये काम
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मेडिटेशन करें: मानसिक सुकून के लिए किसी शांत स्थान पर आराम से बैठ जाएं।आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। रोजाना 5 से 10 मिनट तक इस ध्यान का अभ्यास करें। यह अभ्यास तुरंत मानसिक शांति देता है और सोशल मीडिया के तनाव को दूर करता है।
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साइलेंट ब्रेक लें: दिन में 15 से 20 मिनट केवल मौन रहे। मोबाइल को खुद से दूर रखें। अपने आसपास की आवाजों पर ध्यान केंद्रित करें। आसपास जो कुछ भी हो रहा है उसे ध्यान से देखें। इस दौरान जो कुछ भी हो रहा है उस पर किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया ना दें, केवल मौन रहें। ऐसा करने से मानसिक थकान कम होता है।
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डिजिटल डिटॉक्स: डिजिटल डिटॉक्स में कुछ समय के लिए स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सोशल मीडिया से दूरी बनाना होता है ताकि मानसिक शांति मिले। कम स्क्रीन टाइम, डिजिटल लत को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
