
ईरान के विदेश मंत्री महमूद अब्बास अराघची (दाएं)
ब्रसेल्स/न्यूयॉर्क: इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बावजूद तेहरान पर अभी कई तरह के खतरे मंडरा रहे हैं। अभी ईरान पर कई यूरोपी देश और संयुक्त राष्ट्र मिलकर प्रतिबंध बहाली पर विचार कर रहे हैं। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने इस बात पर सहमति जताई है कि यदि ईरान के साथ परमाणु समझौते पर कोई ठोस प्रगति नहीं होती तो अगस्त के अंत तक उस पर संयुक्त राष्ट्र के कड़े प्रतिबंध दोबारा लागू कर दिए जाएंगे। यह जानकारी दो यूरोपीय राजनयिकों ने गुमनाम रहने की शर्त पर दी।
ईरान को चेताया
फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने ईरान को चेताते हुए कहा है कि अगर उसने परमाणु समझौता नहीं किया तो उसे कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र में तीनों यूरोपीय देशों के राजदूतों ने मंगलवार को जर्मनी स्थित मिशन में मुलाकात की, जहां उन्होंने ईरान के साथ संभावित समझौते और प्रतिबंध बहाली को लेकर चर्चा की। इस मुद्दे पर सोमवार को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और तीनों यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों के बीच भी फोन पर बातचीत हुई थी।
अमेरिका ने कहा-किसी भी स्थिति में नहीं बनाने देंगे परमाणु हथियार
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सभी पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि ईरान किसी भी स्थिति में परमाणु हथियार विकसित या प्राप्त न कर सके। हमारा संयुक्त लक्ष्य यही है कि हम ईरान को किसी भी सूरत में परमाणु बम नहीं बनाने देंगे।
2015 परमाणु समझौते में क्या था
इससे पहले ईरान ने 2015 में यूएस के साथ एक परमाणु समझौता किया था। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी ईरान के साथ हुए उस ऐतिहासिक परमाणु समझौते का हिस्सा थे, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था। हालांकि, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान इस समझौते को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि यह “पर्याप्त रूप से कठोर” नहीं है।
फ्रांस चाहता है ईरान पर फिर लगे प्रतिबंध
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-नोएल बरो ने मंगलवार को ब्रसेल्स में संवाददाताओं से कहा, “जब तक ईरान परमाणु प्रसार पर रोक को लेकर ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाता, उस पर तब तक के लिए प्रतिबंधों की बहाली उचित और जरूरी है।” वहीं ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हाल ही में संकेत दिया कि ईरान अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू कर सकता है, लेकिन एक शर्त पर कि उन्हें इस बात की सुनिश्चित गारंटी चाहिए कि उनके परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका या इज़रायल की ओर से कोई और हमला नहीं होगा। उन्होंने कहा कि “ऐसे हमलों ने समाधान तक पहुंचना और भी अधिक जटिल बना दिया है। जब तक भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों से सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, हम वार्ता में आगे नहीं बढ़ सकते।” (एपी)
