रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्रेटर नोएडा में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित शोधवीर समागम के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े योगदान के बारे में बताया। राजनाथ सिंह ने कहा कि आजाद भारत में नेताजी सुभाष चन्द्रबोस के योगदान को नजर अंदाज किया जाता था या उसे कम आंका जाता था। उनके बारें में जुड़े कई दस्तावेज थे, जिन्हें जनता के सामने लाने से भी परहेज था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को वह सम्मान फिर से दिया जाने लगा है, जिसके वे हमेशा से सच्चे हक़दार थे। नेताजी से जुड़े करीब 300 से अधिक दस्तावेजों को जिन्हें लम्बें समय से सार्वजनिक नहीं किया जा रहा था। हमने उन्हें अवर्गीकृत करके भारत की जनता को समर्पित किया।
इससे पहले गुरुवार को राजनाथ सिंह ने 60वें राष्ट्रीय डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं के साथ-साथ मित्र देशों के अधिकारियों को संबोधित किया था। तब उन्होंने साइबर हमले की चुनौती पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा था कि आज के समय में साइबर हमले चुनौती बन गए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर इसका मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे अहम और अनिवार्य होती है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता सबसे अहम है।
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को साइबर हमलों और सूचना युद्ध जैसे ‘गंभीर’ उभरते सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ठोस प्रयासों का आह्वान किया था। इस दौरान रक्षामंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सरकार का मुख्य फोकस बताया और जोर देकर कहा कि देश की पूरी क्षमता का दोहन तभी किया जा सकता है जब उसके हितों की रक्षा की जाए। सभ्यता के फलने-फूलने और समृद्ध होने के लिए सुरक्षा सबसे अहम और अनिवार्य है।