प्रधानमंत्री मोदी के दक्षिण दौरे के क्या हैं राजनीतिक मायने? समझिए BJP का ‘साउथ प्लान’ What are the political implications of PM Modi s South tour BJP s South Plan decoded


डिंडीगुल दौरे के दौरान समर्थकों का अभिवादन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- India TV Hindi News

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डिंडीगुल दौरे के दौरान समर्थकों का अभिवादन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दक्षिण भारत का दौरा केवल आधिकारिक दौरा नहीं है बल्कि राजनीतिक तौर पर अहम माना जा रहा है। इस बार का दौरा केवल उद्घाटनों के लिए नहीं है, बल्कि ये भी बताने के लिए है कि भारतीय जनता पार्टी अपना विस्तार दक्षिण तक करना चाहती है, खासतौर पर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पार्टी फोकस कर रही है। 

पीएम मोदी की मीटिंग कर रहीं बड़े इशारे

पहले अगर आंध्र प्रदेश की बात करें तो यहां भले ही इस वक़्त जगन मोहन रेड्डी की YSRCP की पार्टी है मगर मोदी का कुछ दिनों पहले TDP अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू जो एक वक़्त पर एनडीए के सहयोगी थे, उनसे मुलाक़ात करना और अब जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण के साथ मुलाक़ात कुछ और इशारा कर रहा है। मोदी के खिलाफ जहां आंध्र में नारे लग रहे हैं कि वो राज्य की तीन राजधानियों पर अपनी राय रखें क्योंकि मोदी एक वक़्त में अमरावती को राजधानी बनाने के एलान के बाद वहां इस फैसले का स्वागत करते हुए अमरावती गए थे। मगर अब यहां के लोग ना सिर्फ तीन राजधानियों पर केंद्र की राय पूछ रहे हैं बल्कि राज्य विभाजन के वक़्त किए गए वायदों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। यही नहीं, विशाखा स्टील प्लांट के निजीकरण के केंद्र के फैसले पर भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
डिफेंसिव मोड में आई टीआरएस
वैसे आंध्र प्रदेश के विभाजन के वक़्त तेलंगाना के साथ किये वादे भी पूरे नहीं हुए, ये आरोप के. चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस भी लगा रही है। टीआरएस दरअसल बीजेपी को तेलंगाना राज्य में मज़बूत होता देख पलटवार का रुख अपना रही है। पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री प्रोटोकॉल को नजरन्दाज़ करते हुए एक बार फिर प्रधानमंत्री के राज्य के दौरे में उनका स्वागत करने नहीं जा रहे हैं।  इससे पहले मुख्यमंत्री ने कभी बुखार होने का बहाना किया तो कभी हैदराबाद में उपस्थित न होने की बात कही। मगर इस बार वो ऐसा कोई बहाना भी नहीं कर रहे हैं। उनकी पार्टी के नेता कह रहे हैं प्रधानमंत्री के रामगुंडेम दौरे पर मुख्यमंत्री को आह्वान करने की जो शब्दावली है वो ठीक नहीं है और इसी वजह से वो आहात हुए हैं। मगर बात सीधी है, के. चंद्रशेखर राव के लिए अगले साल होने वाला चुनाव करो या मारो वाली स्थिति लेकर आ रहा है। 

TRS या तो BJP से हाथ मिलाए या सामना करे
बीजेपी तेलंगाना में मज़बूत होने की हर संभव कोशिश कर रही है और उसका नतीजा भी दिख रहा है। अगर केसीआर दो पारियों के बाद बीजेपी से हाथ मिलाते हैं तो उनके लिए अपना ओहदा कम करने वाली बात होगी और टीआरएस इस वक़्त तेलंगाना के आलावा कहीं और नहीं है। ऐसे में उसके पास दो ही रस्ते हैं, या तो वो बीजेपी के साथ हाथ मिलाए या फिर सामना करे। माना जा रहा है कि बीजेपी का सामना करने के लिए ही टीआरएस अब जल्द ही बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति बनकर राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी का सामना करने आना चाहती है। वहीं मोदी का ये दौरा टीआरएस के लिए वार्निंग और तेलंगाना के बीजेपी नेता को आगे बढ़ो का इशारा देने जैसा है। बात साफ है, अगले साल तेलंगाना में होने वाले चुनाव को लेकर बीजेपी का अपने कैडर को “आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं का इशारा देना” और उसके अगले साल आंध्र प्रदेश में बीजेपी किस पार्टी के साथ अगला चुनाव लड़े, इस पर फैसला लेने की घड़ी की तरफ इशारा साफ दिख रहा है। (रिपोर्ट- सुरेखा अब्बुरीक)

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