ये दो देश हैं दुनिया के बड़े Terrorist Hub,खुफिया रिपोर्टों से संयुक्त राष्ट्र भी हैरान


पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तैयार होती आतंक की फौज (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi News

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तैयार होती आतंक की फौज (प्रतीकात्मक फोटो)

Terrorist Hub Pakistan & Afghanistan:आतंकवाद के खिलाफ भारत वर्षों से पूरी दुनिया को आगाह करता आ रहा है, लेकिन अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने भारत की बात पर तब गौर फरमाना शुरू किया, जब वह खुद आतंकवादियों के शिकार बने। मगर विडंबना देखिये कि इसके बावजूद कुछ समय बाद ही दुनिया ने फिर इसे भुलाना शुरू कर दिया। मगर जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने एक बार फिर से आतंकवाद को बड़ी अंतरराष्ट्रीय समस्या बताकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया का इस ओर ध्यान खींचा। पूरा विश्व पीएम मोदी से सहमत तो हुआ, लेकिन आतंकियों पर जो कार्रवाई होनी चाहिए थी, वह अब तक नहीं हुई। लिहाजा दो देश दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हब बन बैठे, जो अब पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य खुफिया रिपोर्टों में आतंकी हब बने देशों के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। भारत वर्षों से पूरी दुनिया के सामने जो कहता रहा है, उसकी पुष्टि यह खुफिया रिपोर्टें भी करती आ रही हैं। बावजूद अब भी कार्रवाई के नाम पर उतनी सख्ती नहीं बरती जा रही है। आइए अब आपको बताते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हब बने वे दो देश हैं कौन से और आखिरकार कैसे वह अपने देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आतंक का बड़ा नेटवर्क फैला रहे हैं।

ये हैं दुनिया के सबसे बड़े आतंकी देश


भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हब है। यहां जगह-जगह आतंकियों की नर्सरी चलाई जाती है। इस देश में आतंकी खुल्लम-खुल्ला सड़कों पर घूमते हैं और वह पूरी दुनिया में आतंक की पौध तैयार करने में जुटे हैं। इसी तरह दूसरी बड़ा आतंकी हब अब अफगानिस्तान भी बन चुका है। खासकर अफगानिस्तान में जब से तालिबानियों के सरकार है, तब से उन्होंने आतंक की जड़ों को इतना अधिक गहरा कर दिया है कि जिसे आसानी से उखाड़ पाना दुनिया के लिए संभव नहीं होगा। यह सब संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की नजर में है। मगर उनकी ओर से इन आतंकी हब बने देशों पर सख्ती की दरकार है।

अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र की गाज

अभी दो दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में तालिबानियों के जुल्म और आतंक के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर 193 देशों में से 116 देश अपनी मुहर लगा चुके हैं। इससे यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में बहुमत से पारित हो गया है। संयुक्त राष्ट्र को तालिबानी आतंकियों की करतूतों की रिपोर्ट मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई है। हालांकि इसके बाद अब तालिबान को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका किस तरह से आतंक की जमीन को और अधिक उपजाऊ बनने से रोकेंगे, यह देखने वाली बात होगी।

पाकिस्तान की बारी कब?

पाकिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हब है। यहां जगह-जगह टेररिस्ट कैंप चलाए जाते हैं। इतने टेररिस्ट कैंप दुनिया के अन्य किसी मुल्क में नहीं होंगे। कई खुफिया रिपोर्टों में पाकिस्तान में आतंक की नर्सरी चलाए जाने की पुष्टि हो जाने के बाद भी अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया के अन्य देश चुप्पी साधे हुए हैं। सवाल उठता है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का जाल फैलाने से आखिर कब रोका जाएगा?…

अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत की पैनी नजर

भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह अफगानिस्तान में होने वाली हर गतिविधि पर पैनी नजर रख रहा है। युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को लेकर भारत का सीधा संबंध है। बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान मसले पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की बैठक में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर.रवींद्रन ने कहा कि हाल ही में अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) के  धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों पर आतंकी हमला कर उन्हें निशाना बनाया गया। वहां के सुरक्षा हालात पर भारत करीब से नजर रख रहा है और अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाए जाने की कड़ी निंदा करता है। भारत ने रूसी संघ के राजनयिक परिसर पर हमले को भी अति निंदनीय करार दिया है।

आतंकी देशों को रोके संयुक्त राष्ट्र

भारत के प्रतिनिधि रवींद्रन ने कहा कि एक पड़ोसी और अफगानिस्तान के लंबे समय से भागीदार के रूप में भारत का उस देश में शांति और स्थिरता को लेकर सीधा संबंध है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी टीम से उम्मीद है कि वह दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए युद्धग्रस्त देश को अपने अड्डे के रूप में इस्तेमाल करने वाले आतंकी संगठनों को लेकर रिपोर्ट देना जारी रखेगी। राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयास की सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव में सराहना की गई है, जिसे तब स्वीकार किया गया था जब भारत अगस्त 2021 में परिषद का अध्यक्ष था। इस प्रस्ताव में एक सुर में मांग की गई है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादियों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने और उनका वित्त पोषण करने के काम में नहीं होने दिया जाना चाहिए। बावजूद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद व आइएसआइएस जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठन आतंक की नर्सरी बना रहे हैं। वह अपने आतंकी फौज में युवाओं और लड़कियों को तेजी से भर्ती कर रहे हैं। यह पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है। 

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