After Germany and America direct entry of France in Ukraine war increases the risk of nuclear war । जर्मनी और अमेरिका के बाद फ्रांस की भी यूक्रेन युद्ध में सीधी एंट्री, परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ा


इमैनुएल मैक्रों, फ्रांस के राष्ट्रपति- India TV Hindi

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इमैनुएल मैक्रों, फ्रांस के राष्ट्रपति

France Agreed to Provide Fighter Jets to Ukraine: रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार दुनिया के लिए खतरे का शबब बनता जा रहा है। जर्मनी और अमेरिका के बाद अब फ्रांस ने भी यूक्रेन युद्ध में सीधे एंट्री कर ली है। फ्रांस ने यूक्रेन को फाइटर जेट्स देने पर सहमति जताई है। इससे रूस आग बबूला हो गया है। जर्मनी और अमेरिका ने पहले ही यूक्रेन को लैपर्ड-2 और अब्राम टैंक देने का ऐलान करके तीसे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। जर्मनी, अमेरिका और फ्रांस तीनों ही देशों ने रूस की उस धमकी को नजरंदाज करके यूक्रेन की मदद करने का फैसला किया है, जिसमें पुतिन की ओर से स्पष्ट कहा गया था कि यूक्रेन की मदद करने वाले देशों को वह तबाह कर देंगे। पुतिन की चेतावनियों को दरकिनार करते हुए उक्त सभी देश यूक्रेन की मदद को आगे आए हैं। ऐसे में परमाणु युद्ध की आशंका भी बढ़ गई है।  

फ्रांस की रक्षा समिति के अध्यक्ष थॉमस गैसिलौड ने कहा कि फ्रांस लड़ाकू विमानों की यूक्रेन की मांग को पूरा कर सकता है। वहीं कीव के रक्षा मंत्री के सलाहकार ने कहाकि ‘परमाणु हथियारों के अलावा ऐसा कुछ नहीं बचा है जो हमें नहीं मिलेगा’। फ्रांस की रक्षा समिति के अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन के आसमान की रक्षा के लिए लड़ाकू विमानों के लिए राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की की मांगों पर फ्रांस सहमत हो सकता है। फ्रांस का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने यूक्रेन में वसंत से पहले आक्रमण के लिए ब्रिटिश टैंक भेजने की घोषणा की है। जर्मन निर्मित लेपर्ड-2 (तेंदुआ-2) टैंक के भी एक हफ्ते में यूक्रेन पहुंचने का दावा किया गया है। प्रधान मंत्री ऋषि सनक ने कहा, “सभी को हमारे द्वारा निभाई गई नेतृत्व की भूमिका पर बहुत गर्व महसूस करना चाहिए, जो यूक्रेन को टैंक प्रदान करने वाले शुरुआती देशों में से एक है।”

फ्रांस देगा यूक्रेन को फाइटर जेट


पश्चिमी सैन्य सहायता में अगला कदम लड़ाकू विमान का होगा। ‘डेनिस और पूर्वी यूरोपीय इसके बारे में सोच रहे हैं’। थॉमस गैसिलौड ने कहा कि पेरिस की उस मुद्दे पर शर्तें थीं, लेकिन यूक्रेन के लिए पश्चिमी समर्थन के एक और कदम में फ्रांस को कीव में विमान भेजने से इंकार नहीं किया। लंदन में अपने ब्रिटिश समकक्ष टोबियास एलवुड और रक्षा मंत्री बेन वालेस के साथ बातचीत के बाद उन्होंने कहा, “यूक्रेन को डिलीवरी के संबंध में, हमें मामले-दर-मामले के आधार पर अनुरोधों का अध्ययन करना चाहिए और सभी दरवाजे खुले रखने चाहिए।”उन्होंने कहा, “इसलिए हम आने वाले हफ्तों में देखेंगे कि आगे क्या होता है, क्योंकि चीजें तेजी से आगे बढ़ रही हैं।” “डेन और पूर्वी यूरोप के देश इसके बारे में सोच रहे हैं।” शर्तें यह हैं कि विमानों का कोई भी दान फ्रांसीसी या यूरोपीय सुरक्षा को कमजोर नहीं करता है और वे यूक्रेन के लिए उपयोगी हैं।

इन विमानों को यूक्रेन को दान कर सकता है फ्रांस

फ्रांसीसी सरकार अपनी कुछ पुरानी पीढ़ी के विमानों जैसे डसॉल्ट मिराज की पेशकश करने के लिए तैयार हो सकती है। हालांकि फ्रांस को यह भी पता है कि एक जेट के लिए उसे कम से कम यूक्रेन के 10 कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना होगा। प्रशिक्षण में आने वाली कठिनाइयों से पेरिस अवगत है। अंतिम शर्त यह है कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन लड़ाकू विमानों की डिलीवरी को रूस और नाटो के बीच यूक्रेन में युद्ध के बढ़ने का जोखिम नहीं मानते हैं। रक्षा नीति की जिम्मेदारी मैक्रों के साथ उनके अनुभवी और सहयोगी गैसिलोड और उनकी रक्षा परिषद की जिम्मेदारी है। इसके लिए गैसिलोड एक प्रभावशाली आवाज हैं।

जेलेंस्की ने लंबी दूरी की मिसाइलें और लड़ाकू विमान की मांग की

व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने पश्चिम से आग्रह किया कि अमेरिका और जर्मनी द्वारा अब्राम और तेंदुए युद्धक टैंकों का वादा करने के बाद कीव को अब लंबी दूरी की मिसाइलें और लड़ाकू विमानों को भेजा जाए। जेलेंस्की ने यह मांग ऐसे वक्त में की जब गुरुवार को कीव और अन्य शहरों में रूसी ड्रोन और मिसाइल हमलों में कम से कम 11 लोग मारे गए और अन्य 11 घायल हो गए। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले जेलेंस्की को घातक सहायता प्रदान करने का विचार अत्यधिक विवादास्पद था, लेकिन तब से पश्चिम ने वर्जनाओं को तोड़ दिया है। हालांकि जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने बुधवार को जर्मन सांसदों से कहा कि “यूक्रेन को कोई लड़ाकू जेट डिलीवरी नहीं होगी”। पिछले वर्ष फरवरी में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद जर्मनी कई बार यू-टर्न ले चुका है। वहीं यूक्रेन को भरोसा है कि परमाणु हथियारों के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं है, जो उसे नहीं मिलेगा।

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