Even after getting bail thousands of prisoners are locked in jail revealed in the report National Legal Services Authority जमानत मिलने के बाद भी हजारों कैदी जेल में बंद


जमानत मिलने के बाद भी हजारों कैदी जेल में बंद- India TV Hindi

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जमानत मिलने के बाद भी हजारों कैदी जेल में बंद

नई दिल्ली: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार जमानत दिए जाने के बावजूद लगभग 5,000 विचाराधीन बंदी जेलों में थे, जिनमें से 1,417 को रिहा कर दिया गया है। शीर्ष अदालत को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में एनएएलएसए ने कहा कि वह ऐसे विचाराधीन बंदियों का एक ‘मास्टर डाटा’ तैयार करने की प्रक्रिया में है, जो गरीबी के कारण जमानत राशि भरने में अक्षम थे। इनके जेल से बाहर नहीं आने का यह भी एक कारण है। 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर उठाया था मुद्दा 

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 29 नवंबर के अपने आदेश में लगातार जेल में रह रहे विचाराधीन बंदियों का मुद्दा उठाया था, जो जमानत मिलने के बावजूद जमानत की शर्त नहीं पूरी कर पाने के कारण जेल में हैं। उच्चतम न्यायालय का 29 नवंबर का यह आदेश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पिछले साल 26 नवंबर को संविधान दिवस पर दिये गए भाषण के बाद आया था। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में ओडिशा और झारखंड के गरीब जनजातीय लोगों की पीड़ा का उल्लेख किया था। 

राष्ट्रपति ने कहा था कि वे जमानत मिलने के बावजूद जमानत राशि की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण कारागार में बंद हैं। जमानत देने की नीतिगत रणनीति से जुड़ा मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। इस मामले में न्यायमित्र के रूप में शीर्ष अदालत का सहयोग कर रहे अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने एनएएलएसए की ओर से पेश रिपोर्ट का उल्लेख किया। 

जमानत मिलने के बाद भी जेल में बंद थे 5 हजार कैदी 

एनएएलएसए ने कहा कि दिसंबर 2022 तक राज्यों के लगभग सभी एसएलएसए से डाटा प्राप्त कर लिया गया है। रिपोर्ट में इसके आधार पर कहा गया है कि जमानत मिलने के बावजूद जेल में रहने वाले बंदियों की संख्या करीब 5000 थी, जिनमें से 2357 को विधिक सहायता प्रदान की गई और 1417 बंदियों को रिहा कराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमानत मिलने के बावजूद अभियुक्तों के जेल में होने का एक मुख्य कारण यह है कि वे कई मामलों में आरोपी हैं और जब तक उन्हें सभी मामलों में जमानत नहीं दी जाती है, तब तक वे जमानत राशि भरने को तैयार नहीं हैं। विभिन्न राज्यों के एसएलएसए के मुताबिक, जमानत मिलने के बावजूद जेल में रह रहे विचाराधीन बंदियों की संख्या महाराष्ट्र में 703 (जिनमें से 314 रिहा कराए गए), ओडिशा में 238 (जिनमें से 81 रिहा कराए गए) और दिल्ली में 287 ((जिनमें से 71 रिहा कराए गए) थी। 

 

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