गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर पर बसे भारत के पहले गांव से चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, ‘वे दिन गए जब कोई भी हमारी जमीनों पर कब्जा कर लेता था। अब किसी की हिम्मत नहीं जो भारत की सुई की नोंक की बराबर जमीन पर भी कब्जा कर सके।’ वह अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत के पहले गांव किबिथू में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ की शुरुआत कर रहे थे। चीनी विदेश मंत्रालय ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘जंगनन’ (अरुणाचल के लिए चीन का नाम) चीन का हिस्सा है। जंगनन में वरिष्ठ भारतीय अधिकारी (अमित शाह) की गतिविधि से चीन की संप्रभुता का उल्लंघन होता है और यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए अनुकूल नहीं है। अमित शाह का अरुणाचल दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले हफ्ते चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदलने का एलान किया था। चीन अरुणाचल को जंगनान (दक्षिणी तिब्बत) नाम से बुलाता है और भारत ने उसके इस दावे का कड़ाई से विरोध करता है। किबिथू में अमित शाह ने 9 माइक्रो-हाइडेल प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत, 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चीनी सीमा के पास बसे 2,967 गांवों को 4,800 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। इन गांवों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़कर वहां आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। चीन क्या कहता है, या क्या करता है, यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। चीन अपने अन्य पड़ोसी मुल्कों को लेकर भी इसी तरह की बयानबाजी करता रहता है। हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि हमारी सरकार चीन को किस अंदाज में जवाब देती है, और हमारे मुल्क में विरोधी दल चीन की बातों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। अगर चीन ने कहा कि उसने हमारे अरुणाचल प्रदेश के 11 गांवों के नाम कागजों पर बदल दिए, तो इससे जमीनी सच्चाई तो नहीं बदली। चीन का हमारे गांवों पर कब्जा तो नहीं हो गया। विरोधी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और कुछ लोगों ने तो यह दिखाने की कोशिश की जैसे चीन ने हमारे गांवों पर कब्जा कर लिया है। चीन द्वारा भारतीय गांवों के नाम बदलने के एक हफ्ते के अंदर ही अमित शाह अरुणाचल प्रदेश पहुंच गए और उनमें से कुछ का दौरा किया। एक ऐसे गांव में, जिसका नाम बदलने का चीन ने दावा किया था, अमित शाह ने सोमवार को खड़े होकर कहा कि ‘कोई एक इंच जमीन पर भी बुरी नजर नहीं डाल सकता।’ चीन अमित शाह की इस बात का मतलब समझता है। इसीलिए उसके विदेश मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। चीन ने नाम बदलने की, हमारे गांवों पर दावा करने की कोशिश कोई पहली बार नहीं की है। लेकिन अब से पहले जब भी चीन इस तरह की हरकत करता था तो उसे यह कहकर खारिज कर दिया जाता था कि उसे छेड़ने से कोई फायदा नहीं होगा। अब वक्त बदल गया है। नरेंद्र मोदी की सरकार की नीति मे झुकने की गुंजाइश नहीं है। इसीलिए अब देश के गृह मंत्री ने उसी जगह पर जाकर चीन को जवाब दिया, जिस पर वह दावा जता रहा है। ये बदले हुए भारत के तेवर हैं। यह भारत का चीन को करारा जवाब है।
सांप्रदायिक हिंसा
रामनवमी के दौरान और उसके बाद पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा और गुजरात में कई जगहों पर सांप्रदायिक झड़पें हुईं । यह चिंता की बात है । राष्ट्रविरोधी ताकतें सक्रिय हैं और वे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना चाहती हैं। बिहार में बिहारशरीफ, नालंदा और सासाराम के बाद रविवार को जमशेदपुर (झारखंड), बेमेतरा (छत्तीसगढ़) और सोनीपत (हरियाणा) में झड़पें हुईं। बिहार में VHP और बीजेपी के नेता आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस निर्दोष हिंदू युवकों को पकड़ रही है, जबकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हिंसा के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। AIMIM सुप्रीमो असद्दुदीन ओवैसी का कहना है कि बिहार पुलिस सिर्फ मुसलमानों को पकड़ रही है, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार टोपी बदल-बदलकर इफ्तार में खजूर खा रहे हैं। यह सही है कि पुलिस को मामले की तह तक जाना चाहिए, अगर किसी ने साजिश रची है तो उसका पता लगाना चाहिए। लेकिन यह भी सही है कि सासाराम और बिहार शरीफ में रानमवमी के मौके पर हुई हिंसा के सैकड़ों वीडियो सामने हैं। किसने पत्थर फेंके, किसने आग लगाई, यह साफ दिख रहा है, इसलिए जब सिर्फ एक पक्ष के लोगों को पकड़ा जाता है और उनके नाम सार्वजनिक किए जाते हैं तो सरकार और पुलिस की नीयत पर सवाल उठना लाजिमी है। तेजस्वी यादव हों या नीतीश कुमार, उन्हें सियासत करने का, सियासी बयान देने का पूरा हक है, लेकिन उन्हें ये ख्याल रखना पड़ेगा कि वे अपनी पार्टी के नेता होने के साथ-साथ बिहार के मुखिया हैं, संवैधानिक पद पर हैं। इसलिए अगर वे जांच से पहले किसी एक पक्ष को जिम्मेदार ठहराते हैं, या इशारा करते हैं, तो इससे गलत संदेश जाता है। इसीलिए VHP ने बिहार सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिए और केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग कर दी। दुख की बात ये है कि अब बिहार के पड़ोसी झारखंड में भी हिंसा की चिंगारी पहुंच गई। जमशेदपुर में एक मंदिर के धर्म ध्वजा में किसी ने मांस के टुकड़े बांध दिए। इस पर हिन्दू संगठनों ने नाराजगी जाहिर की और जब वे मंदिर में मीटिंग कर रहे थे, उसी वक्त पत्थरबाजी शुरू हो गई। हिंसा के भड़कने के बाद रैपिड ऐक्शन फोर्स को तैनात करना पड़ा। बीजेपी के नेताओं का कहना है ध्वजा के साथ मांस बांधकर भगवा झंडे का अपमान किया गया, लेकिन पुलिस अभी तक अपराधी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में बच्चों के बीच हुए झगड़े के बाद 2 घरों में आग लगा दी गई और भीड़ ने एक हिंदू नौजवान की हत्या कर दी। अब बीजेपी, VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ता विरोध मार्च निकाल रहे हैं। VHP के नेताओं का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में अवैध रोहिंग्या मुसलमानों को बसाया जा रहा है। रोहिंग्या मुसलमान बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, छत्तसीगढ़, महाराष्ट्र और यहां तक कि कर्नाटक और केरल तक फैल चुके हैं। यह बहुत चिंता की बात है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में घर-घर सर्वे करवाया था और यह पता लगाया था कि किन इलाकों में अवैध रूप से रोहिंग्या रह रहे हैं। सबकी पहचान करने का काफी फायदा हुआ। मुझे लगता है कि अन्य राज्यों को भी इसी तरह का सर्वे कराना चाहिए, जिससे देश में रह रहे अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान हो सके और उन्हें वापस डिपोर्ट किया जा सके।
केजरीवाल देश भर में ‘झाड़ू’ के निशान का इस्तेमाल कर सकेंगे
चुनाव आयोग ने सोमवार को आम आदमी पार्टी को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस, CPI और NCP का दर्जा ‘राष्ट्रीय पार्टी’ से घटाकर ‘राज्य पार्टी’ कर दिया। ऐसा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 21 राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के चुनाव प्रदर्शन की समीक्षा के बाद किया गया। किसी भी ‘राष्ट्रीय पार्टी’ को पूरे भारत में एक ही चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने का अधिकार होता है, इसके स्टार प्रचारकों की संख्या ज्यादा होती है, चुनाव प्रचार के लिए नेशनल मीडिया पर मुफ्त एयरटाइम मिलता है, और रियायती दर पर दिल्ली में दफ्तर के लिए जमीन मिल सकती है। भारत में अब केवल 6 राष्ट्रीय पार्टियां बची हैं: बीजेपी, कांग्रेस, सीपीएम, बीएसपी, AAP और नेशनल पीपुल्स पार्टी। ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के दर्जे का छिन जाना NCP प्रमुख शरद पवार और TMC प्रमुख ममता बनर्जी के लिए करारा झटका है। यह खबर आने के कुछ देर बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर इसे एक ‘चमत्कार’ बताया। उन्होंने कहा कि जिस विचार का समय आ गया हो, उसे कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि AAP और भारत का वक्त अब आ गया है। दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में राज्य पार्टी का दर्जा मिलने और विधानसभा चुनावों में 6 प्रतिशत से अधिक वोट मिलने के बाद AAP को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता मिलनी तय थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी ने आंध्र प्रदेश में राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया है। KCR ने हाल ही में अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति से बदलकर भारत राष्ट्र समिति किया था। यह कोई पहली बार नहीं है कि किसी को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ का दर्जा मिला है, लेकिन केजरीवाल ऐसे दिखा रहे हैं कि जैसे अब वह कोई बड़ी राष्ट्रीय पार्टी चला रहे हैं। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से चुनाव के वक्त कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। केजरीवाल ने 2012 में आम आदमी पार्टी बनाई थी और उसे 11 साल बाद राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज मिला है। वहीं, NCP छोड़कर 2013 में नेशनल पीपुल्स पार्टी का गठन करने वाले पी. ए. संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी को कई साल पहले ही यह दर्जा मिल चुका है, लेकिन देश में बहुत कम लोग NPP के बारे में जानते हैं। मेघालय में NPP की सरकार है और कोनराड संगमा मुख्यमंत्री हैं। इसके अलावा मणिपुर, नागालैंड और अरूणाचल प्रदेश में भी NPP राज्य स्तर की पार्टी है इसलिए इसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से फायदा यह होता है कि दिल्ली में दफ्तर के लिए जगह मिल जाती है, और पूरे देश में पार्टी का चुनाव निशान एक ही होता है। इसलिए अब केजरीवाल देश भर में झाड़ू के निशान पर चुनाव लड़ पाएंगे। (रजत शर्मा)
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