उत्तर प्रदेश के झांसी में गुरुवार को यूपी STF के साथ मुठभेड़ में गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद और उसके शूटर गुलाम की मौत हो गई। यह सूबे की सियासत में एक बड़ी घटना है । छह साल पहले तक यूपी में गैंगस्टर खुलेआम घूमा करते थे। जिस समय मुठभेड़ हुई, उसी समय प्रयागराज की एक अदालत अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की रिमांड अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी। अतीक अहमद अपने बेटे की मौत की खबर सुनकर कोर्टरूम में रो पड़ा। 2005 में बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी, और उसी मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या इस साल 24 फरवरी को हुई। उसके बाद दोनों मुख्य आरोपी असद और गुलाम पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में गुस्से में कहा था कि ‘पूरे गैंग को मिट्टी में मिला दूंगा।’ योगी ने अपना वादा पूरा किया। झांसी एनकाउंटर में दोनों बदमाशों को मार गिराने वाली यूपी एसटीएफ की टीम का नेतृत्व दो डीएसपी, नवेंदु और विमल कर रहे थे। माफिया गिरोहों के खिलाफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऐलान-ए-जंग का काफी असर हुआ है। यूपी में बड़े अपराधी अब फरार चल रहे हैं। दो दिन पहले ही योगी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में घुसते ही अब बड़े से बड़े माफिया की पैंट गीली हो जाती है। गुजरात की जेल से प्रयागराज लाए जाते वक्त अतीक ने रिपोर्टर्स से कहा कि योगी ने ‘माफियागिरी’ खत्म कर दी, और सब मिट्टी में मिला दिया। अब तक अकेले अतीक अहमद की करीब 11 करोड़ रुपये की संपत्ति या तो जब्त हो चुकी है, या उस पर बुलडोजर चल चुका है। उत्तर प्रदेश में 2 बड़े माफिया गिरोह थे, जिनके सरगना थे, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी। छह साल पहले जब योगी आदित्यनाथ की सरकार आई थी, तब तक ये दोनों गैंगस्टर्स कानूनी दांव पेंचों का इस्तेमाल करते हुए दूसरे राज्यों की जेल में शिफ्ट हो गए थे । योगी दोनों को उत्तर प्रदेश ले कर आए । जेलों मे इन दोनों के जो मददगार थे, उनके खिलाफ भी ऐक्शन लिया, और अब दोनों का पूरा कुनबा जेल में हैं । इनका सारा साम्राज्य खत्म कर दिया गया है । सिर्फ अतीक और मुख्तार के खिलाफ ऐक्शन नहीं हुआ है, बल्कि योगी ने माफिया की करीब 15000 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। अतीक अहमद जैसे अपराधी जो पहले कहते थे कि ‘डर काहे का’, अब वे कह रहे हैं कि बाबा ने पूरे खानदान को मिट्टी में मिला दिया और ‘अब रगड़ाई कर रहे हैं।’ जब माफिया इस तरह से डरे सहमे दिखते हैं तो आम लोगों में कानून के प्रति भरोसा बढ़ता है। यह योगी की बड़ी उपलब्धि है।
गहलोत को मोदी की गुगली
बुधवार को अजमेर-जयपुर-दिल्ली के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सियासी उठापटक और संकट’ में फंसे होने के बावजूद कार्यक्रम में शामिल होने और ‘विकास के लिए वक्त निकालने’ के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सराहना की। गहलोत दने राजस्थान के लिए रेलवे से जुड़ी कुछ मांगें रखी थी, जिनकी तरफ इशारा करते हुए मोदी ने कहा, ‘जो काम आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था, अब तक नहीं हो पाया, लेकिन आपका मुझ पर इतना भरोसा है, इतना भरोसा है कि आज वो काम भी आपने मेरे सामने रखे हैं। आप का यह विश्वास है, यही मित्रता की अच्छी ताकत है। और एक मित्र के नाते आप जो भरोसा रखते हैं उसके लिए मैं आपका बहुत आभार व्यक्त करता हूं।’ मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से रेल मंत्रियों के चुनाव, नई ट्रेनों की घोषणा और यहां तक कि भर्ती में भी राजनीतिक स्वार्थ हावी रहा। उन्होंने कहा कि रेलवे में नौकरी देने के बहाने जमीनें ली गईं। आज गहलोत जी के दो-दो हाथ में लड्डू हैं। रेल मंत्री (अश्विनी वैष्णव) राजस्थान के हैं और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन भी राजस्थान के हैं। गहलोत को समझ में ही नहीं आया कि वह मोदी की बात पर ताली बजाएं या फिर इस बात की चिंता करें कि इसका असर क्या होगा। गहलोत जानते हैं कि मोदी की तारीफ उन्हें महंगी पड़ सकती है और राहुल गांधी नाराज हो सकते हैं। इसलिए गहलोत ने प्रोग्राम के तुरंत बाद ट्विटर पर एक बयान जारी कर कहा, ‘मुझे दुख है कि आज मेरी मौजूदगी में आपने 2014 से पहले के सभी रेल मंत्रियों के फैसलों को भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताया। आज आधुनिक ट्रेनें चल पा रही हैं क्योंकि डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में आर्थिक उदारीकरण किया और नई तकनीक को भारत में विकसित होने का अवसर दिया। आज आपका भाषण पूरी तरह 2023-24 के विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों को देखते हुए दिया गया है एवं यह बीजेपी के चुनावी एजेंडे के रूप में था।’ उन्होंने जिन रेल मंत्रियों के नाम अपने बयान में लिखे उनके नाम मोदी ने नहीं लिए थे, और जिन लालू यादव पर भ्रष्टाचार के आरोपों का मोदी ने जिक्र किया था उनका नाम गहलोत ने नहीं लिया। संयोग से, ED ने बुधवार को दिल्ली में लालू के बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से ‘नौकरी के लिए जमीन’ घोटाले में पूछताछ की। गहलोत को इन सब बातों से कोई परेशानी नहीं है। वह तो बस इतना चाहते हैं कि मोदी ने उनकी जो तारीफ की, दोस्त कहा, उसका कोई गलत मतलब न निकाले। कांग्रेस में राहुल गांधी आजकल किसी को भी यह कहने में देर नहीं लगाते कि तुम मोदी के आदमी हो। सचिन पायलट वैसे भी आजकल गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे हैं। वह दिल्ली में राहुल गांधी से मिलने का इंतजार कर रहे हैं। जाहिर है, गहलोत फूंक फूंक कर कदम रखना चाहते हैं।
विपक्षी एकता: नीतीश, राहुल और केजरीवाल
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने डिप्टी तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं के साथ बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं से मुलाकात की। खरगे ने बैठक को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि विपक्षी दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को एकजुट होकर लड़ेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी दलों को एकजुट करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है और कांग्रेस इस वैचारिक लड़ाई में सभी दलों को साथ लेगी। इसके बाद नीतीश और तेजस्वी ने AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की। बाद में, केजरीवाल ने एक अच्छी पहल करने के लिए नीतीश की सराहना की और कहा, ‘हम इस पर साथ-साथ हैं और जिस तरह चीजें आगे बढ़ रही हैं, हमें अच्छा लग रहा है।’ विरोधी दलों की एकता की बात सुनने में जितनी पक्की लगती है, असलियत में उतनी ही कच्ची है। यह सही है कि ये सारे नेता आजकल ED और CBI के सताए हुए हैं। ईडी और सीबीआई के कथित दुरुपयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग करते हुए 14 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त याचिका पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए उन्हें बैरंग लौटा दिया था कि ‘राजनेता कानून और गिरफ्तारी से छूट के तहत विशेष बर्ताव की मांग नहीं कर सकते ।’ हमने देखा कि कैसे अडानी विवाद को लेकर JPC की मांग के मुद्दे पर भी विपक्षी एकता नजर आई थी, लेकिन पिछले हफ्ते एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने इसमे पलीता लगा दिया। बाद में पवार ‘विपक्षी एकता के लिए’ JPC की मांग का विरोध न करने पर सहमत हुए। इसी तरह, सावरकर के सवाल पर राहुल गांधी के विचारों से न शरद पवार सहमत हैं और न ही उद्धव ठाकरे। वहीं, संजय राउत भले ही कहते रहें कि कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और NCP की महा विकास आघाड़ी फेविकोल का जोड़ है, टूटेगा नहीं, लेकिन अजीत पवार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की खबरों ने फेविकोल के इस जोड़ पर पानी डाल दिया है। (रजत शर्मा)
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