Rabindranath Tagore jayanti – 8 साल में लिखी पहली कविता, फिर 3 देशों को दिए राष्ट्रगान; जानें रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़ी खास बातें


Rabindranath Tagore jayanti- India TV Hindi

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रबींद्रनाथ टैगोर ने अपने पूरे जीवन में 2200 से भी ज्यादा गीत लिखे हैं

रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती हर साल 7 मई को मनाई जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर ने कला के क्षेत्र में जो नाम कमाया, शायद ही भारतीय इतिहास में कोई और शख्सियत उस शिखर पर पहुंच सकता है। रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले ना सिर्फ पहले भारतीय थे बल्कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एशिया के पहले व्यक्ति थे। ये बात तो सब जानते होंगे कि भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर थे लेकिन, उनके जीवन से जुड़ी बहुत सारी खास बातें हम आपको आज बताएंगे। 

13 भाई-बहनों में थे सबसे छोटे

रवींद्रनाथ टैगोर ने कविता, साहित्य, नाटक और संगीत समेत कई अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। बचपन में उन्हें प्यार से सब उन्हें ‘रबी’ बुलाते थे। रवींद्रनाथ टैगोर कुल 13 भाई-बहन थे और ये उनमें सबसे छोटे थे। 

8 साल की उम्र में कविता, 16 साल में पहला संग्रह 
रवींद्रनाथ टैगोर को बचपन से ही परिवार में साहित्यिक माहौल मिला, यही वजह रही कि रवींद्रनाथ ने महज 8 साल की उम्र में कविता लिखना शुरू कर दिया था। जब वह 16 साल के हुए तो छद्म नाम ‘भानुसिंह’ के तहत कविताओं का अपना पहला संग्रह जारी किया था। टैगोर ने अपने पूरे जीवन में 2200 से भी ज्यादा गीत लिखे हैं। 

3 देशों के राष्ट्रगान में रवींद्रनाथ का योगदान
रचनाओं की बात करें तो रवींद्रनाथ टैगोर पूरा खजाना छोड़कर गए हैं। वे एक महान कवि, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार समेत साहित्य की कई विद्याओं में निपुण थे। रवींद्रनाथ टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को कई देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया। रवींद्रनाथ टैगोर ही भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता हैं। इतना ही नहीं, बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी टैगोर की ही रचना है। इतना ही नहीं बताया जाता है कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है।

साहित्य में नोबेल जीतने वाले एशिया के पहले व्यक्ति 
रवींद्रनाथ टैगोर एक नहीं बल्कि कई तरह की प्रतिभा के धनी थे। वो भारत ही नहीं एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें साहित्य के लिए 1913 में अपनी रचना गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आज भी रवींद्र संगीत बांगला संस्कृति का अभिन्न अंग माना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोंर ने साल 1921 में विश्वभारती की स्थापना की थी। इसे 1951 में संसद के एक अधिनियम द्वारा एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था।

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