Washington: ज्यादा समय नहीं बीता है, जब अमेरिका और चीन के बीच संदिग्ध चीनी बैलून के पेंटागन के पास पाए जाने के बाद अमेरिका द्वारा कार्रवाई की गई थी। इसके बाद से चीन और अमेरिका के बीच खूब तनातनी हो गई थी। अमेरिका ने चीन के बैलून को जासूसी बैलून बताकर मिसाइल से मार गिराया था। चीन ने इसे अपनी ‘प्रेस्टीज’ पर ले लिया था और अमेरिका को इस कृत्य के लिए भला बुरा तक कहा था। तब अमेरिका ने भी चीन को आंख दिखाई थी। इस घटना के बाद अब अब अमेरिका और चीन के बीच में थोड़ी ‘अंडरस्टैंडिंग’ बढ़ती दिखाई दे रही है, क्योंकि अमेरिका और चीन दोनों जानते हैं कि जरा सी चिंगारी से बड़ी जंग भड़क सकती है। दोनों देशों के बीच अब सुलह की बातें चल पड़ी हैं। इस बात की तस्दीक खुद अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन ने की।
ह्वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने इस हफ्ते वियना में एक वार्ता के दौरान चीनी विदेशी नीति के वरिष्ठ सलाहकार वांग यी से कहा कि बाइडन प्रशासन अमेरिका में घुसे चीन जासूसी गुब्बारे को उनके देश द्वारा मार गिराए जाने के कारण उत्पन्न तनाव से आगे बढ़ने पर विचार कर रहा है। दोनों ने पक्षों ने माना कि फरवरी की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी और अब संवाद का एक ‘मानक और सामान्य चैनल फिर से बहाल’ करने पर विचार कर रहे हैं। बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
ऑस्ट्रिया में हुई थी चीन और अमेरिका की ‘गुप्त’ मीटिंग
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में बुधवार और गुरुवार को हाई लेवल की मीटिंग से ठीक पहले इस मीटिंग को वाशिंगटन या बीजिंग ने गुप्त ही रखा था, इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। व्हाइट हाउस की ओर से इसे व्यापक दायरे वाली वार्ता करार दिया गया जिसमें दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के साथ आठ घंटे से अधिक समय तक बातचीत की। बाइडन प्रशासन के अधिकारी ने नाम नहीं सार्वजनिक करने की शर्त पर संवाददाताओं से कहा कि दोनों पक्षों ने माना कि फरवरी की घटना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ थी और अब संवाद का ‘मानक और सामान्य चैनल फिर से बहाल’ करने पर विचार कर रहे हैं।
छोटा सा गतिरोध बदल सकता है दुश्मनी में, इस बात को लेकर चिंता
इस तरह के कई संकेत मिले हैं कि विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव कम हो सकता है और इस कड़ी में यह वार्ता एक ताजा संकेत है। चीन और अमेरिका के बीच राजनीतिक और सैन्य प्रतिस्पर्धा गहराने को लेकर कई अमेरिकी अधिकारी और विश्लेषक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि भरोसेमंद ‘संकट संवाद’ के अभाव से दोनों देशों के बीच छोटा-मोटा गतिरोध भी बड़ी शत्रुता में बदल सकता है। पिछले साल कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो में शामिल होने के बाद वांग का कद बढ़ने पर उनकी सुलिवन के साथ यह पहली आमने-सामने की वार्ता थी।