इंफाल: मणिपुर में कंगपोकपी जिले के हरओठेल गांव में गुरुवार की सुबह कुछ अज्ञात ‘दंगाइयों’ ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की। सेना की स्थानीय इकाई ने ट्वीट किया कि ‘अपुष्ट खबरों’ से संकेत मिलता है कि घटना में कुछ लोग हताहत हुए हैं। ताजा खबर यह है कि सुरक्षाबलों के अभियानों में हस्तक्षेप करने के लिए क्षेत्र में इकट्ठा हुई भीड़ को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया। लगभग शाम 4 बजे क्षेत्र में तैनात सैनिकों ने मुनलाई गांव के पूर्व से गोलीबारी की आवाज सुनी थी।
‘बिना उकसावे के शुरू की गोलीबारी’
इसके अलावा, लगभग शाम 5.15 बजे नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के दक्षिण में स्थित ग्राम बेथेल की ओर से गोलीबारी की सूचना मिली। हालात को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबल इलाके में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराए हुए हैं। इससे पहले सेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर विवरण देते हुए कहा गया था कि सशस्त्र दंगाइयों ने सुबह 05:30 बजे बिना उकसावे के गोलीबारी शुरू कर दी। सेना की ‘स्पीयर कोर’ के आधिकारिक हैंडल पर कहा गया, ‘स्थिति को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए क्षेत्र में तैनात सैनिक तुंरत जुट गये।’
‘सैनिकों ने दिया दंगाइयों का जवाब’
सेना की ‘स्पीयर कोर’ के आधिकारिक हैंडल पर कहा गया, ‘सैनिकों ने दंगाइयों की गोलीबारी का सुव्यवस्थित तरीके से जवाब दिया। सैनिकों की त्वरित कार्रवाई के परिणामस्वरूप गोलीबारी बंद हो गई। अतिरिक्त टुकड़ियों को क्षेत्र में भेजा गया है। अपुष्ट खबरों से कुछ लोगों के हताहत होने का संकेत मिलता है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने की भी सूचना है। स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।’ बता दें कि जिस इलाके में यह घटना हुई है वह राजधानी इंफाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा की मौत
बता दें कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर में एसटी का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।