आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होगा भविष्य के भारत का ग्रोथ इंजन, देश की GDP वृद्धि में कर सकता है 1.4% का इजाफा


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आर्टिफिशियल (एआई) को लेकर दुनिया असमंजस की स्थिति में है। इससे दुनिया भर में लाखों नौकरियां जाने का खतरा है। लेकिन यही एआई भारत के लिए भविष्य की बड़ी ताकत बन सकती है। एआई को अपनाने से देश की वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर में सालाना 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। 

भारतीय प्रबंध संस्थान- अहमदाबाद (आईआईएम-ए) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के एक अध्ययन में यह अनुमान जताया गया है। प्रबंध संस्थान के निदेशक भरत भास्कर ने बुधवार को एक संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट आईआईएम-ए परिसर में जारी की। ‘भारत में एआई- एक रणनीतिक आवश्यकता’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कृत्रिम मेधा का अर्थव्यवस्थाओं, समाज और सभ्यता पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा। सिर्फ भारत में, एआई को सफलतापूर्वक अपनाने से जीडीपी वृद्धि दर में सालाना 1.4 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, एआई को सफलतापूर्वक अपनाने से अकेले शीर्ष 500 भारतीय कंपनियों के लिये पांच साल की अवधि में वृद्धिशील कर-पूर्व लाभ में 1,500 से 2,500 अरब रुपये जुड़ने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई को अपनाने के लिये बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। 

अनुमान के मुताबिक शीर्ष 500 भारतीय कंपनियों को ही कम से कम दस लाख घंटे के प्रशिक्षण की जरूरत होगी। रिपोर्ट कहती है कि भारत में दुनिया के सिर्फ 4.5 प्रतिशत एआई पेशेवर ही हैं। ऐसे में प्रतिभा की कमी और अधिक गंभीर हो सकती है। 

कर्मचारियों की एआई ट्रेनिंग पर 1 अरब डॉलर खर्च करेगी विप्रो

विप्रो ने बुधवार को अपने सभी 2.5 लाख कर्मचारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में प्रशिक्षित करने और उत्पादों की पेशकश में इस प्रौद्योगिकी को अपनाने पर एक अरब डॉलर खर्च करने का ऐलान किया है। विप्रो ने बयान में कहा कि अगले तीन वर्षों में खर्च की जाने वाली इस राशि का एक हिस्सा क्लाउड, डेटा एनालिटिक्स, परामर्श एवं इंजीनियरिंग टीम के 30,000 कर्मचारियों को एक साथ लाकर सभी आंतरिक परिचालन और ग्राहकों को दिए जाने वाले समाधानों में इस प्रौद्योगिकी को अपनाने पर खर्च किया जाएगा। 

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