Moradabad riots report ‘game changer’ for BJP? | बीजेपी के लिए ‘गेमचेंजर’ होगी मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट?


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योगी सरकार ने मंगलवार को मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट 4 दशक बाद विधानसभा में पेश कर दी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को 1980 के मुरादाबाद दंगों पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट 40 साल बाद पेश की गई। इस रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ‘क्लीन’ चिट दी गई है। योगी सरकार द्वारा रिपोर्ट जारी करने के बाद से सूबे की सियासी हलचल तेज हो गई। माना जा रहा है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में यह रिपोर्ट बीजेपी के लिए ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकती है और विपक्षी दलों पर बड़ी बढ़त दिला सकती है। वहीं, उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों ने जांच रिपोर्ट को करीब 4 दशक बाद विधानसभा में पेश किए जाने पर सत्तारूढ़ दल की मंशा पर सवाल उठाये हैं।

‘सत्ता में बैठे लोग कोई भी रिपोर्ट बना सकते हैं’

मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जांच रिपोर्ट को सदन में पेश किये जाने के सवाल पर बुधवार को कहा, ‘चुनाव आ रहे हैं। अब इस तरह की रिपोर्ट आती रहेंगी।’ सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने बीजेपी पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘सरकार चाहे कोई भी रिपोर्ट पेश करे। आज जो सत्ता में है वह कोई भी रिपोर्ट बनाकर भेज सकते हैं। हम जानते हैं कि जब वह कांड हुआ था तो उसे करने वाले लोग आज सत्ता में बैठे हैं।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. एल. पुनिया ने बीजेपी सरकार द्वारा मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट सदन में पेश करने के समय पर सवाल उठाते कहा कि बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिये इस रिपोर्ट को सदन में रखा है।

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मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर कई आरोप लगाए।

BJP को फायदा दिला सकती है जांच रिपोर्ट
दरअसल, इस रिपोर्ट में बीजेपी और RSS को क्लीन चिट मिलने से, और 4 दशकों बाद इसके सामने आने से विपक्ष को लगता है कि भगवा दल इस मुद्दे को जोरशोर से उठएगा। 1980 में हुए इस दंगे के वक्त सूबे में कांग्रेस की सरकार थी और वीपी सिंह मुख्यमंत्री थे। घटना की जांच के लिए जो आयोग बना था वह भी कांग्रेस की सरकार के दौरान ही बना था। ऐसे में आयोग की रिपोर्ट को बीजेपी यह कहकर प्रचारित कर सकती है कि खुद विपक्षी दलों की सरकार के रहते हुए बनाई गई रिपोर्ट में बीजेपी और आरएसएस को क्लीन चिट दी गई है, इसलिए मुरादाबाद दंगों का असली सच लोगों के सामने आ गया है।

मुस्लिम लीग के नेता को ठहराया गया जिम्मेदार
बता दें कि मुरादाबाद में अगस्त 1980 में जो साम्प्रदायिक दंगा हुआ था, जिसमें 83 लोग मारे गये थे जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। घटना की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एमपी सक्सेना का एक सदस्यीय आयोग नियुक्त किया गया था। इस आयोग ने नवंबर 1983 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। सरकार ने दंगों की जांच रिपोर्ट को मंगलवार को विधानसभा में रखा। रिपोर्ट में आयोग ने मुस्लिम लीग के नेता शमीम अहमद खां और उनके कुछ समर्थकों को दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

‘पुलिस ने आत्मरक्षा में चलाई थीं गोलियां’
रिपोर्ट में RSS और BJP को क्लीन चिट दी गयी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि पुलिस ने दंगाइयों पर आत्मरक्षा में गोलियां चलायी थीं। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के बारे में कहा कि रिपोर्ट से मुरादाबाद के दंगों का सच प्रदेश और देश की जनता के सामने आएगा। उन्होंने कहा कि यह सच्चाई सामने आनी चाहिए कि दंगे कौन कराता है, दंगाइयों का संरक्षण कौन करता है और दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई कौन करता है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस जांच रिपोर्ट पर सियासत और तेज हो सकती है।





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