Rajat Sharma Blog CHANDRAYAAN REACHES THE MOON WHAT NEXT? | चंद्रमा पर पहुंचा चंद्रयान: अब आगे?


Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog On Hindutva, Rajat Sharma- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

23 अगस्त 2023 हम सभी हिन्दुस्तानियों के लिए गर्व करने का दिन है। भारत चांद पर पहुंच गया, हमारे चन्द्रयान-3 ने चंद्रमा पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग की। कहीं कोई खामी नज़र नहीं आई, किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं। सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ और हमारे वैज्ञानिकों ने चांद पर भारत का तिरंगा गाड़ दिया। भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक अपना अन्तरिक्ष यान उतारा। बुधवार को पूरी दुनिया ने अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत का लोहा माना और तय वक्त पर शाम 6 बजकर 4 मिनट पर जैसे ही विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह को छुआ, पूरे देश में मां भारती की जय के नारे गूंज उठे। ऐसा लगा इन नारों की गूंज चांद तक पहुंच जाएगी। लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे, हाथों में तिरंगा था और जुबान पर भारत मां के जय का उद्घोष। पूरे देश ने चन्द्रयान 3 की उतरने की प्रक्रिया को दिल थाम कर देखा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जोहन्सबर्ग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसरो के कमांड सेंटर से जुड़े। लखनऊ में योगी आदित्यनाथ, कोलकाता में ममता बनर्जी, मुबई में देवेन्द्र फड़नवीस, दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल, भोपाल में शिवराज सिंह चौहान, जयपुर में अशोक गहलोत, देहरादून में पुष्कर धामी, देश के अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने दफ्तरों में बैठकर इतिहास बनते हुए देख रहे थे।

देश भर के स्कूलों में बच्चों को चन्द्रयान 3 की लैंडिंग को लाइव दिखाने के इंतजाम किये गये थे। पूरे देश की नजरें टीवी की स्क्रीन पर थी। बच्चे, बूढ़े और जवान, माताएं-बहनें सब हाथ जोड़कर सिर्फ सुरक्षित लैंडिंग की कामना कर रहे थे। और इसरो के कमांड सेंटर में बैठे वैज्ञानिकों की नजर विक्रम लैंडर से भेजे जा रहे पल-पल के डेटा पर थी। लैंडर की क्षैतिज गति (हॉरिजॉन्टल स्पीड) और लम्बवत दूरी (वर्टिकल डिस्टेंस) तेजी से कम हो रही थी। हमारा लैंडर तेजी से चांद की सतह की तरफ बढ़ रहा था लेकिन बीच-बीच में जब लैंडर की वर्टिकल स्पीड बढ़ती थी, तो लोगों की सांसे थम जाती थीं। लेकिन लैंडर तय रास्ते पर था, सारे मापदंड सामान्य थे। लैंडर के कैमरे पल-पल की तस्वीरें और डेटा लगातर कमांड सेंटर को भेज रहे थे। जैसे ही लैंडर चांद से सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर पहुंचा तो उसकी उर्ध्व और क्षैतिज गति शून्य  हो गई। लैंडर के लेज़र कैमरों ने सतह का मुआयना किया। कुछ सेकेन्ड तक रुकने के बाद लैंडर ने लैंडिग साइट फाइनल की और बड़े आराम से, धीरे से, चांद पर कदम रख दिए। जैसे ही लैंडर ने चांद पर सफल उतरने का संदेश भेजा तो इसरो के वैज्ञानिक खूशी से उछलने लगे, एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दी।

पूरे देश में जश्न शुरू हो गया, लेकिन इस जश्न से पहले जो 19 मिनट सुई के गिरने वाली खामोशी के गुजरे, उन्हें देखना, उन्हें समझना और उन्हें महसूस करना जरूरी है, क्योंकि इन 19 मिनटों में वैज्ञानिकों की कई वर्षों की मेहनत छिपी हुई थी। इन 19 मिनटों 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों की प्रार्थनाएं समाई हुई थीं। ये 19 मिनट इंतज़ार था – देश के गौरव का, एक एतिहासिक पल का। इसरो के वैज्ञानिक पिछले 48 घंटे से सोए नहीं थे क्योंकि लैंडर विक्रम को चांद पर उतारने की तैयारियां 48 घंटे पहले शुरू हो चुकी थीं। दोपहर एक बजकर पचास मिनट पर इसरो के कमांड सेंटर में बैठे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान  के लिए ऑटोमैटिक लैंडिंग सिक्वैंस कमांड लॉक कर दिया। इसका मतलब है, विक्रम लैंडर को चांद पर लैंड करने की तैयारी का निर्देश दे दिया गया, जिसमें अब कोई बदलाव नहीं हो सकता। इसे ALS कहते हैं। इस कमांड के जरिए वैज्ञानिकों ने विक्रम लैंडर को मैसेज दिया कि जब शाम पांच बजकर 44 मिनट पर उसकी पोजीशन चांद से करीब 30 किलोमीटर ऊपर और लैंडिंग प्वाइंट से करीब 800 किलमीटर की दूरी पर होगी, उसी वक्त लैंडिंग का प्रोसेस शुरू होगा।

विक्रम लैंडर ने साइंटिस्ट की कमांड को लॉक कर दिया। पांच बजकर 44 मिनट पर लैंडर ने लैंडिग के प्रोसेस का फर्स्ट फेज – रफ ब्रेकिंग शुरु  कर दी। ये फेज़ 690 सेकेन्ड का था। इस फेज की शुरुआत के साथ ही टाइम ऑफ टेरर यानि धड़कने थामने वाले क्षण शुरू हो गए। इस दौरान लैंडर विक्रम की स्पीड को 1.68 किलोमीटर प्रति सेकेंड से घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड यानी करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक लाया गया। लैंडर की स्पीड कम करने के लिए चार इंजन फायर किए गए।  इन साढ़े ग्यारह मिनटों में विक्रम लैंडर 745.6 किलोमीटर की हॉरिजॉनटल (क्षैतिज) दूरी कवर की और इसकी चांद से वर्टिकल दूरी-  यानि चांद की सतह से लैंडर विक्रम की ऊंचाई  30 किलोमीटर से घटकर 7.4 किलोमीटर रह गई। ये साढ़े ग्यरह मिनट धड़कनें बढ़ाने वाले थे क्योंकि उतरने की प्रक्रिया के शुरू होने के करीब साढ़े चार मिनट बाद वैज्ञानिकों के नजरें लैंडर विक्रम की रफ्तार पर थी। स्क्रीन पर लैंडर की क्षैतिज रफ्तार कम हो रही थी, वर्किटल स्पीड भी 16 मीटर प्रति सेकेन्ड् तक गिर गई। चांद से वर्टिकल दूरी भी करीब 29 किलोमीटर रह गई, लेकिन इसके बाद अचानक वर्टिकल गति बढ़ने लगी और एक मिनट में 70 मीटर प्रति सेकेन्ड तक पहुंच गई, यानि उस वक्त लैंडर विक्रम चांद की तरफ 70 मीटर प्रति सेकेन्ड की रफ्तार से उतर रहा था और उस वक्त लैंडर की चांद से दूरी सिर्फ 13 किलोमीटर थी।

ये देखकर वैज्ञानिकों के चेहरों के भाव बदल गए लेकिन अगले ही कुछ पलों में फिर लैंडर ने चाल बदली, वर्टिकल स्पीड को तेजी से कम किया। लैंडर विक्रम जब चांद से साढ़े सात किलोमीटर की ऊंचाई पर था, उस वक्त लैंडर की हॉरिजॉटल स्पीड कम होकर 375 मीटर प्रति सेकेन्ड और वर्टिकल स्पीड 62 मीटर प्रति सेकेन्ड रह गई। तब वैज्ञानिकों ने चैन की सांस ली। दक्षिण अप्रीका के जोहान्सबर्ग में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की इस सफलता को देखकर अभिभूत हो गए। मोदी ने कहा, वो भले ही ब्रिक्स सम्मेलन में बैठे हैं लेकिन उनका दिल देश में ही है, उनका दिल दिमाग सिर्फ चन्द्रयान पर टिका था। मोदी ने कहा कि ये गर्व की बात है कि वह भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। मोदी ने खुले मन से, पूरे दिल से इसरो के वैज्ञानिकों को पूरे देश की तरफ से शुक्रिया कहा। मोदी ने कहा कि भारत को ये स्वर्णिम पल दिखाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सालों तक तपस्या की, दिन रात मेहनत की और उस सपने को साकार किया जो देशवासी कई सालों से देख रहे थे। मोदी ने कहा कि ये बहुत बड़ी सफलता है, ये कदम मानवता के लिए अन्तरिक्ष में नए द्वार खोलेगी। इंसान का सफर अब चांद सितारों तक आगे बढ़ेगा। इसके बाद मोदी ने आम लोगों के दिल की बात की और कहा कि अब चंदा मामा दूर के नहीं, चंदा मामा टूर के होंगे यानि अब चांद पर जाना आसान होगा।

मोदी ने कहा कि अब तक तो किस्से कहानियों में चांद से रिश्ता था लेकिन अब वो रिश्ता हकीकत में बदल गया है। अब किस्से कहानियां हकीकत में बदल गए हैं। मोदी की ये बात तो सही है कि चांद को हम बचपन से चंदा मामा के नाम से जानते हैं। ‘चंदा मामा दूर के, पूए पकाएं बूर के, आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में’, यही सुनते आए हैं। हमारे यहां चांद को देवता मानकर पूजा की जाती है। चांद को देखकर सुहागिनें करवाचौथ के व्रत तोड़ती है, चांद को देखकर तय होता है कि ईद कब मनाई जाएगी। माना जाता है कि पूर्णिमा की रात चांद का असर लोगों के व्यवहार पर होता है। पूर्णिमा की रात समंदर में ज्वार आता है। इन सबके पीछे हजारों सालों से हमारा जो विश्वास है, जो हमारी मान्यताएं हैं, उनके आधार पर आज दुनिया भर में मून मिशन में लगे वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं चन्द्रमा धरती का टुकड़ा है लेकिन हमारे यहां तो चांद और धरती का रिश्ता हजारों से साल से भाई बहन का है। धरती मां है और चंदा मामा। आजकल लोग याद दिला रहे हैं कि पुराण मे एक श्लोक है जिसमें धरती से चन्द्रमा की दूरी का एक्जैट कैकलकुलेशन है।

पुराण हजारों साल पहले लिखे गए थे। ये जानकर अच्छा लगता है कि हमारे ऋषियों-मुनियों के पास जो जानकारी हजारों साल पहले थी, वो वैज्ञानिकों की खोज में सही निकली। जो सफलता हमारे वैज्ञानिकों को मिली, उसने हमें आधुनिक विज्ञान में भी दुनिया के पहले दो मुल्कों में लाकर खड़ा कर दिया। पिछले दस साल में चांद पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत दूसरा देश बना। चार साल पहले चीन को ये सफलता मिली थी। पिछले दस साल में पांच देशें ने चांद पर उतरने की कोशिश की। भारत और चीन के अलावा रूस, जापान और इस्राइल। इनमें से अब तक चीन को सफलता मिली थी। अब भारत ने ये गौरव हासिल किया। इस्राइल और जापान के मून मिशन प्राइवेट कंपनियों द्वारा भेजे गए थे। अब तीन दिन के बाद 26 अगस्त को जापान की स्पेस एजेंसी एक बार फिर चांद पर उतरने की कोशिश करेगी। सवाल है कि क्या अब चंद्रयान-4 लॉन्च किया जाएगा? चांद पर भारत का अगला मिशन क्या होगा? मेरी जानकारी ये है कि भारत के अगले मून मिशन का नाम चन्द्रयान नहीं होगा। चन्द्रमा के लिए अगला मिशन अगले साल 2024-25 में लॉच किया जाएगा। ये मिशन जापान के साथ सहयोग में होगा। इसका नाम होगा LUPEX (Lunar Polar Exploration Mission)। इसमें भी एक लैंडर और एक रोवर होगा जो दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, हालांकि अभी इसका एलान नहीं किया गया है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 अगस्त, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *