Dadi ki Rasoi became the pride of India presented a model to rescue the world from food crisis/भारत का गौरव बनी “दादी की रसोईं”, G20 देशों के सामने पेश किया दुनिया को खाद्य संकट से उबारने का मॉडल


पुणे के G20 शिखर सम्मेलन में खाद्य संकट से दुनिया को उबारने का मॉडल पेश करते अनूप खन्ना- India TV Hindi

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पुणे के G20 शिखर सम्मेलन में खाद्य संकट से दुनिया को उबारने का मॉडल पेश करते नोएडा स्थित दादी की रसोईं के संचालक अनूप खन्ना।

सिर्फ 5 रुपये में जरूरतमंदों का पेट भरने वाली दादी की रसोईं ने विश्व स्तर पर देश को गौरवान्वित करने का अवसर दिया है। भारत की अध्यक्षता में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में आज बुधवार को पुणे के इंटरफैथ समिट में दादी की रसोईं के संचालक अनूप खन्ना को भारत की ओर से दुनिया को खाद्य संकट से उबारने का मॉडल पेश करने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्हें खाद्य सुरक्षा के सेशन में अपना प्रस्तुतीकरण देने को कहा गया। इसके बाद उन्होंने जी-20 देशों के सामने विश्व को इस संकट से उबारने का खाद्य मॉडल पेश किया। भविष्य में इस मॉडल को दुनिया के अन्य देशों में भी अपनाया जा सकता है। 

जी-20 देशों के प्रतिनिधि यह जानने को बेताब थे कि महंगाई के इस दौर में कोई सिर्फ 5 रुपये में लोगों को उत्तम गुणवत्ता का भोजन कैसे उपलब्ध करा सकता है। अनूप खन्ना ने प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया कि वह किस तरह से पिछले करीब 9 वर्षों से नोएडा के सेक्टर 29 स्थित गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में दादी की रसोईं चला रहे हैं और गरीबों व जरूरतमंदों को सिर्फ 5 रुपये में भोजन दे पा रहे हैं। जी-20 देशों के प्रतिनिधियों को उन्होंने बताया कि वह सिर्फ 5 रुपये में देशी घी का तड़का लगी दाल, बासमती चावल, रोटियां, रसगुल्ले, पेड़े, फ्रूटी और मिनरल वॉटर उपलब्ध करा रहे हैं। उनके मेन्यू में कभी-कभी मटर-पनीर, पूड़ी, हलवा, छोले-चावल, कढ़ी-चावल इत्यादि भी होते हैं। उन्होंने अपना मॉडल समझाते हुए कहा कि मैंने अपनी मां के कहने पर इस रसोईं की शुरुआत की थी। हमारा कोई एनजीओ नहीं है। मगर जन्मदिन, जयंती, पुण्यतिथि, सालगिरह इत्यादि मनाने वाले लोग भी दादी की रसोईं को सहयोग करते हैं। रोजाना करीब 500 लोग यहां सिर्फ 5 रुपये में दोपहर का भोजन करते हैं। 

मुफ्त में इसलिए नहीं देते भोजन

अनूप खन्ना ने अपने प्रस्तुतीकरण के दौरान कहा कि हम चाहते तो लोगों को यह भोजन मुफ्त में भी दे सकते थे। मगर तब उनका स्वाभिमान जिंदा नहीं रहता। 5 रुपये लोगों से लेने का मतलब उनके स्वाभिमान को जिंदा रखना था। क्योंकि फ्री में देने पर किसी गरीब और जरूरतमंद का स्वाभिमान नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि हमारा दूसरा मकसद प्रोफेशनल भिक्षावृत्ति से देश को मुक्त कराना भी है। यहां हम लोगों को सिविक सेंस भी सिखाते हैं। आमजन जो एसी रेस्टोरेंट में खाने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, उनके लिए दादी की रसोईं सिर्फ 5 रुपये में एसी रोस्टोरेंट में भोजन का अवसर देती है। इस तरह की शुरुआत कोई भी कर सकता है। अगर आपकी नीयत सही है तो दान देने वालों की देश में कमी नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य भी हो रहा पूरा

अनूप खन्ना ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के 3 मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, भूख से मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य को भी दादी की रसोईं पूरा करती है। इसके लिए वह गरीबों को 10 रुपये में कपड़े (पुराने व पहनने लायक कपड़े) व प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत सस्ती दवाएं भी देते हैं। यानि यहां रोटी, कपड़ा और दवाई तीनों चीजें एक छत के नीचे दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह मॉडल पूरे विश्व में लागू हो सकता है। मगर इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और नेक नीयत होना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा दादी की रसोईं की शुरुआत करने के बाद भारत के कई राज्यों व शहरों में लोगों ने प्रेरणा लेकर ऐसी अन्य रसोईं भी खोली है। यह मॉडल दुनिया को खाद्य संकट से उबारने में मदद कर सकता है। जी-20 प्रतिनिधियों ने इस मॉडल की सराहना की।

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