कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो के बयान पर हंगामा, एमएस बिट्टा बोले- वोटों के लिए खालिस्तानियों को दिया जा रहा संरक्षण। Uproar over Canadian PM Justin Trudeau statement MS Bitta said this thing


Justin Trudeau- India TV Hindi

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एमएस बिट्टा

राजकोट: कनाडा में सिख अलगाववादी नेता की हत्या के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या को लेकर दावा किया था कि इस हत्या के पीछे भारतीय एजेंट थे। उनके बयान के बाद भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनातनी का माहौल है। इसी बीच अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष एमएस बिट्टा का मंगलवार को बयान सामने आया है। उन्होंने इस बात को जोर देते हुए कहा है कि अलग खालिस्तान कभी नहीं बनेगा। मंगलवार को एएनआई से बात करते हुए, सिख नेता बिट्टा ने कहा कि वर्तमान भारत अधिक मुखर और आकांक्षी है, पड़ोसी पाकिस्तान के इशारे पर मुट्ठी भर लोगों द्वारा समुदाय को खराब करने के प्रयासों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कनाडाई सरकार पर लगाया आरोप

बिट्टा ने कहा, ‘अगर कोई भारत को तोड़ने या विभाजित करने का एजेंडा चलाने की कोशिश करेगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।’ उन्होंने कनाडा की सरकार पर आरोप लगाया कि वह वोटों के लिए खालिस्तानियों को संरक्षण दे रही है। आंदोलन के बावजूद खालिस्तान नहीं बन सका और हम इसे कभी वास्तविकता नहीं बनने देंगे।’

बिट्टा ने कहा कि मैं ऐसे लोगों को बताना चाहता हूं कि भारत अब वह देश नहीं रहा जो पहले हुआ करता था। हम अपने समुदाय को खराब छवि में दिखाने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम पाकिस्तान के इशारे पर चलाए जा रहे किसी भी एजेंडे को सफल नहीं होने देंगे।

बिट्टा ने अपील करते हुए कहा कि देश और विदेश में सिख समुदाय और गुरुद्वारों के सभी सदस्य एक साथ आएं और अलगाववादी खालिस्तानी प्रचार के खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कहा कि मैं भारत और उसके बाहर के सभी गुरुद्वारों के सदस्यों से आग्रह करूंगा कि जब भी खालिस्तान की मांग हो तो एक बैठक बुलाएं। हमारे देश को बांटने की ऐसी नापाक चालों को हम हराकर रहेंगे।

इस बीच, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने मंगलवार को कनाडाई पीएम के अलगाववादी नेता की हत्या के लिए भारत को जोड़ने वाले दावे के बाद के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की। एसजीपीसी ने कहा कि आज सिख दुनियाभर में बसे हुए हैं। उनके मानवाधिकारों के साथ-साथ धार्मिक चिंताएं हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। सिख समुदाय पहले भी कई दर्दनाक समय से गुजरा है, जिसमें जून 1984 का सैन्य हमला भी शामिल है।

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