महाराष्ट्र में अचानक से बीयर की बिक्री में गिरावट आ गई है। इसे लेकर महाराष्ट्र सरकार परेशान है, क्योंकि महंगाई के इस दौर में राज्य में बीयर की खपत कम होने से राजस्व घट गया है। महाराष्ट्र में बीयर की बिक्री राजस्व का एक बड़ा स्रोत है, लेकिन बीयर पर उत्पाद शुल्क बढ़ने से बिक्री पर असर पड़ा है। अन्य अल्कोहलिक पेय के अनुपात में बीयर में अल्कोहल की मात्रा कम होने के बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से इस पर बड़ा उत्पादन शुल्क लगाया गया है।
पांच सदस्यीय कमिटी गठित
बीयर की बढ़ी हुई कीमतों की वजह से बीयर उपभोक्ताओं ने बीयर खरीदना कम कर दिया है। महाराष्ट्र के बाहर कई ऐसे राज्य हैं, जहां बीयर पर उत्पाद शुल्क काफी कम है, जिस वजह से उन राज्यों को काफी राजस्व प्राप्त हो रहा है। बीयर की कम खपत से हो रहे राजस्व नुकसान को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पांच सदस्यीय एक कमिटी का गठन किया है। महाराष्ट्र सरकार ने इस कमिटी का गठन इस बात की जांच करने के लिए किया है कि राज्य में अचानक बीयर की बिक्री में गिरावट कैसे आ गई।
राजस्व बढ़ाने पर अध्ययन
ऐसे में सवाल है कि एक ओर जहां ज्यादातर राज्यों में समाज में शराब के बढ़ते इस्तेमाल को कैसे रोका जाए, इसे लेकर बात हो रही है, तो वहीं महाराष्ट्र सरकार को इस बात की चिंता सता रही है कि राज्य के लोगों ने बीयर खरीदना कम क्यों कर दिया? इसकी जांच के लिए गठित कमिटी के प्रमुख राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव होंगे। यह समिति बीयर के संदर्भ में मूल्य आधारित पद्धति और बीयर पर उत्पादन शुल्क के मौजूदा दर का अध्ययन करेगी। देश के अन्य राज्यों में बीयर के संदर्भ में क्या नीतियां हैं और कैसे राज्य का राजस्व बढ़ाया जा सकता है इसका भी अध्ययन करेगी।
समिति में कौन-कौन होंगे?
अतिरिक्त मुख्य सचिव – राज्य उत्पादन शुल्क विभाग
कमिश्नर- राज्य उत्पादन शुल्क विभाग( महाराष्ट्र)
एडिशनल कमिश्नर- राज्य उत्पादन शुल्क विभाग (मुंबई)
उप सचिव- राज्य उत्पादन शुल्क विभाग
सदस्य- ऑल इंडिया बेवरेज एसोसिएशन
इस पांच सदस्यीय कमिटी को महीने भर के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है। इस कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार यह तय करेगी कि बीयर पर उत्पाद शुल्क को कम करना है या फिर नहीं।
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