Chhath Puja 2023: पहली बार करने जा रही हैं छठ तो इन बातों का रखें खास ध्यान, वरना टूट सकता है व्रत


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Chhath Puja 2022

Chhath Puja 2023: छठ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इसमें महिलाएं पूरे 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। छठ पूजा का आरंभ नहाय खाय के साथ होता है, जिसमें व्रती स्नान आदि कर सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। नहाय खाय ही वही दिन होता है, जिसमें व्रती महिलाएं नमक का सेवन करती हैं। इसके बाद खरना में केवल मीठी गुड़ वाली खीर खाया जाता है। छठ का व्रत संतान की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि, खुशहाली के लिए किया जाता है। इसके अलावा संतान की प्राप्ति के लिए भी छठ का व्रत रखा जाता है। छठ का व्रत बहुत नियम और निष्ठा के साथ किया जाता है। ऐसे में अगर आप पहली बार छठ पूजा का व्रत करने जा रही हैं तो इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें नहीं तो आपका व्रत भंग भी हो सकता है। 

छठ व्रत के नियम

  • छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष महत्व रहता है तो इसका जरूर ध्यान रखें। घर से लेकर मंदिर और किचन तक को साफ-सुथरा रखें। 
  • छठ का प्रसाद चूल्हे पर बनाया जाता है लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है नए चूल्हे या स्टोव का इस्तेमाल करें या गैस चूल्हा को अच्छे से धो दें। 
  • छठ पर्व के दौरान घर में तामसिक चीजों से दूरी बनाकर रखें। लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि चीजें घर के अन्य सदस्य भी न खाएं। 
  • जिन बर्तनों में मांसाहार बना हो या खाया गया हो उसका भूलकर भी इस्तेमाल न करें। 
  • छठ का प्रसाद बनाने के लिए नए बर्तनों का उपयोग करें। छठ पूजा में स्टिल या शीशे के बर्तनों का प्रयोग न करें।
  • नहाय खाय के साथ दिन स्नान आदि कर साफ कपड़े पहनकर ही सात्विक भोजन (बिना प्याज, लहसुन)  ग्रहण करें।
  •  व्रत रखने वाली महिलाएं जमीन पर सोएं।
  • छठ व्रत का पारण उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही करें।

छठ पूजा का महत्व

हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ मनाया जाता है। छठ में भगवान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। यह पर्व पूरे चार दिनों तक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। व्रती महिलाएं अपनी संतान और घर-परिवार के सुखी जीवन की कामना करते हुए पूरे 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही छठ व्रत का पारण करती हैं। इस साल छठ पूजा का प्रारंभ 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ हो गया है, जो कि 20 नवंबर को भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपूर्ण होगा। सच्चे मन और नियम के साथ छठ का व्रत करने से छठी मैया सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं और भगवान सूर्य देव स्वस्थ्य काया देते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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