बिहार में फिर राजनीतिक हलचल हुई तेज, पशुपति पारस ने लोजपा का संसदीय बोर्ड किया भंग


पशुपति पारस- India TV Hindi

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पशुपति पारस

पटना: बिहार की राजनीति में अक्सर ज्वार-भाटे आते रहते हैं। वहां कुछ स्थिर नहीं रहता है। बदलाव बिहार की राजनीति का नियम। राज्य में कब कौन सा नेता किसका दोस्त बन जाए और किसका दुश्मन यह शायद खुद उनकी भी नहीं मालूम होता है। अब एक और प्रकरण ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बार बारी थी पासवान परिवार और उनकी पार्टी में। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रहे रामविलास पासवान के परिवार में फिर हलचल हुई है। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी लोजपा दो खेमों राष्ट्रीय लोजपा और लोजपा (रामविलास) में बंट गई। अब इन दोनों गुटों में रामविलास की विरासत की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। सांसद वीणा देवी के चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) की तरफ आने के बाद राष्ट्रीय लोजपा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को डर सताने लगा है।

 पारस ने केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भंग किया

इस बीच, पारस ने केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भंग कर दिया है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस द्वारा गुरुवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस के द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि नई केन्द्रीय संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन यथाशीघ्र कर दिया जायेगा।

वीणा देवी के चिराग के साथ जाने की खबर 

कहा जा रहा है कि लोजपा के स्थापना दिवस के मौके पर वीणा देवी सांसद और स्व. रामविलास पासवान के पुत्र चिराग के साथ मंच पर पहुंची थी। हालांकि, अब तक वीणा देवी के लोजपा (रामविलास) के साथ आने की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इधर, चिराग की पार्टी के एक नेता का दावा है कि कई और नेता चिराग की पार्टी में आ सकते हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के द्वारा चिराग को ज्यादा महत्व दिए जाने के बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है।

बता दें कि जब पारस ने पार्टी तोड़ी थी तब पारस के साथ लोजपा के चार सांसद महबूब अली कैसर, चंदन सिंह, प्रिंस राज और वीणा देवी साथ थे। पारस खुद को रामविलास का असली उत्तराधिकारी भी बताते रहे हैं, लेकिन चिराग ने वीणा देवी को अपनी ओर करके अपने चाचा पारस को बड़ा झटका दिया है।





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