खाद्यान्न और चीनी के लिए जूट पैकेजिंग के मानदंडों को मंजूरी, जानें क्या हुआ है अब तय । Cabinet approves jute packaging norms for food grains and sugar,check new standard here


केंद्र सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 12,000 करोड़ रुपये के जूट बोरे खरीदती है।- India TV Paisa
Photo:PIXABAY केंद्र सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 12,000 करोड़ रुपये के जूट बोरे खरीदती है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को जूट वर्ष 2023-24 के लिए अनिवार्य पैकेजिंग मानदंडों को मंजूरी दी। नए प्रावधानों के तहत 100 प्रतिशत खाद्यान्न और 20 प्रतिशत चीनी की जूट की थैलियों में पैकिंग करना अब जरूरी होगा। भाषा की खबर के मुताबिक, इस फैसला से जूट मिलों और सहायक यूनिट्स में काम करने वाले चार लाख श्रमिकों को राहत मिलने के साथ ही लगभग 40 लाख किसान परिवारों को समर्थन मिलेगा। जूट वर्ष 1 जुलाई से 30 जून तक होता है। जूट वर्ष के दौरान पैकेजिंग और वापस मंगाए जूट की बोरी और नई खरीद के लिए NSWS पोर्टल पर P-2 फॉर्म जोड़ा गया है।

घरेलू उत्पादन क्षेत्र के हितों की रक्षा होगी

खबर के मुताबिक, एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि इस प्रस्ताव से भारत में कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के घरेलू उत्पादन क्षेत्र के हितों की रक्षा होगी। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में लिए गए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा गया कि जूट वर्ष 2023-24 के लिए अनुमोदित जरूरी पैकेजिंग मानदंडों के तहत 100 प्रतिशत खाद्यान्न और 20 प्रतिशत चीनी की जूट की थैलियों में पैकिंग करना होगा।

फैसले से पर्यावरण की रक्षा में मदद मिलेगी

जूट पैकेजिंग सामग्री के आरक्षण के तहत देश में उत्पादित कच्चे जूट का लगभग 65 प्रतिशत खपत होता है। विज्ञप्ति में कहा गया कि इस फैसले से पर्यावरण की रक्षा में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 12,000 करोड़ रुपये के जूट बोरे खरीदती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब चालीस लाख किसान परिवार, तीन लाख मिल श्रमिक और एक लाख व्यापारी कच्चे जूट की खेती और प्रोसेसिंग में जटिल रूप से शामिल हैं। जूट को पटसन, पाट या पटुआ के नाम से भी जाना जाता है। बांग्लादेश और नेपाल से आयातित जूट पर एंटी डंपिंग ड्यूटी अगले पांच साल के लिए जारी है।

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