हरियाणा में आज 3000 डॉक्टर्स की हड़ताल, अस्पतालों में OPD रहेगी बंद, इन मांगों को लेकर जता रहे रोष


प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi

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हरियाणा के तीन हजार से अधिक डॉक्टर आज यानी बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान केवल आपातकालीन सेवाएं ही बहाल रहेंगी, जबकि अस्पतालों में ओपीडी बंद रहेगी और डॉक्टर मरीजों की जांच नहीं करेंगे। केवल एमरजेंसी, ट्रॉमा सेंटर और पोस्टमार्टम हाउस चलेंगे। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 28 दिसंबर को तो वो सामान्य रूप में काम करेंगे, लेकिन इसके बाद 29 दिसंबर से पूर्ण हड़ताल कर दी जाएगी। 

हरियाणा सरकार को सौंपा था ज्ञापन

विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए अलग कैडर, सर्विस में रहते हुए पीजी करने के दौरान एक-एक करोड़ के दो बॉन्ड भरने के नियम को 50 लाख करने, सीधी भर्ती ना करके पदोन्नति के माध्यम से सीनियर मेडिकल ऑफिसर का चयन जैसी मांगों को लेकर डॉक्टर पिछले लंबे वक्त से सरकार से मांग कर रहे हैं। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने 9 दिसंबर को सुबह 9 से 11 बजे तक दो घंटे ओपीडी बंद रखकर रोष जताया था। 10 दिसंबर को अपनी मांगों को लेकर हरियाणा सरकार को ज्ञापन दिया और चेताया था कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह ओपीडी बंद कर देंगे, लेकिन 17 दिन बाद भी सरकार की ओर से कोई एसोसिएशन को ठोस आश्वासन नहीं मिला। इसके बाद एचसीएमएसए के राज्य प्रधान डॉ. राजेश ख्यालिया ने लिखित में हड़ताल का ऐलान किया है।

प्रदेश में इस वक्त 71 सिविल अस्पताल हैं

हरियाणा में इस वक्त 71 सिविल अस्पताल, 120 सीएचसी, 407 पीएससी और 2727 सब सेंटर हैं। औसतन हर जिले में रोजाना दो हजार से अधिक मरीजों की सरकारी अस्पतालों में जांच की जाती है। बुधवार को ओपीडी बंद रहने से औसतन करीब 50 हजार जरूरतमंद लोगों की जांच प्रभावित रहेगी, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में जांच पांच रुपये में की जाती है। वहीं, प्राइवेट अस्पतालों में 200 से 500 रुपये तक ओपीडी के लिए जाते हैं।

विशेषज्ञों के लिए अलग कैडर बनाने को मंजूरी 

खास बात ये है कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की मंजूरी के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी विशेषज्ञों के लिए अलग कैडर बनाने को मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसका ना तो एसोसिएशन को पता है और ना ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉक्टरों को मनाने का प्रयास किया गया। कैडर के लिए शर्तें और नियमों को लेकर भी डॉक्टरों में संशय बरकरार है।





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