Ram Mandir: रामलला की पूजा कैसे होगी और प्राण प्रतिष्ठा में क्या-क्या होगा? जानिए हर एक बात


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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले इस वक्त अयोध्या ही नहीं, पूरा देश राममय है। लेकिन राम मंदिर के प्रांगण में आज जो कुछ हुआ…वो सबसे विशेष है। आज मंदिर के पूजा मंडप में बनाई गई यज्ञशालाओं में आहुति दी गई और गर्भगृह में जलाभिषेक के बाद रामलला को शय्याधिवास में भेज दिया गया। सोमवार को भक्तों को दर्शन देने से पहले आज रामलला की आंखों में सोने की श्लाका से मधु और घी लगाया गया। उससे पहले तीन मंडपों में उन्हें स्नान कराया गया और आंखों पर बंधी पट्टी खोल दी गई। सोमवार को गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूरा होने के पश्चात सभी साक्षी लोगों को रामलला का दर्शन कराया जाएगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय सोमवार की दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा।

रामलला को आईना दिखाया जाएगा

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद जब रामलला के आंखों की पट्टी खोली जाएगी तो उन्हें आईना दिखाया जाएगा, ऐसा क्यों किया जाएगा। पुजारी अरुण दीक्षित ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में भगवान शक्ति स्वरूप प्रकाश पुंज के रूप में प्रवेश करते हैं। इस शक्ति का तेज असीम होता है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब भगवान के नेत्र खोले जाते हैं तो उनकी आंखों से असीम शक्ति वाला यही तेज बाहर निकलता है, इसीलिए सबसे पहले भगवान को दर्पण दिखाया जाता है। इस क्रिया को पूरे वैदिन विधान के साथ उन तीन मंडपों में पूरा कर लिया गया है जो राम मंदिर के समीप प्रतिष्ठान के लिए बनाए गए हैं।

महत्वपूर्ण पूजा हुई संपन्न

अयोध्या में कल प्राण प्रतिष्ठा से पहले आज सबसे महत्वपूर्ण पूजा संपन्न हो गई। गर्भगृह में रामलला की रजत मूर्ति और विग्रह को 114 कलश से स्नान कराया गया। वैदिक परंपरा में इसे मूर्ति स्नपन कहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि जिन 114 कलश के जल से रामलला को स्नान कराया गया उनमें क्या क्या मिलाया गया था तो  वो भी जान लीजिए-

पंचगव्य – दूध, दही, घी, शहद ,
गोमूत्र और गोबर 
पंचरत्न, नवरत्न 
कई औषधियां 
कई तीर्थों का जल 
कई वृक्षों के पत्ते 
औषधीय वृक्षों की छाल से बने काढ़ा 

रामलला की एक झलक पाने को बेताब हैं लोग

मूर्ति स्नपन की क्रिया चारों वेदों के वैदिक विद्वानों ने पूरी कराई। मुंबई के सिद्धमठ के गुरु गोरखनाथ भी उन 121 आचार्यों में शामिल हैं जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया गया है। रामलला को देखकर गुरुजी की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।उन्हें टाट से ठाठ तक लाने में जो संघर्ष और इंतजार सनातनियों ने किया उसे यादकर उनका गला रूंध गया और आंखों से आंसू छलक गए। उन्होंने वो समय याद किया जब मंदिर के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई थी और आज रामलला मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। संतों के साथ साथ इस पल को करीब से देखने और रामलला की पहली झलक पाने के लिए भारत के कोने-कोने से लोग अयोध्या पहुंचे हैं। 

 

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