डोनाल्ड ट्रंप फंसेंगे या बचेंगे? अब इस अहम मसले पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट


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डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की दौड़ में मजबूती से बने हुए हैं।

लंदन: अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट एक अभूतपूर्व कानूनी मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गया है जिससे 2024 के चुनाव में बवाल मचना तय है। यह मामला पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति प्रतिरक्षा से संबंधित है। इसका अर्थ यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात की सुनवाई करेगा कि क्या पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को उनके खिलाफ नागरिक और आपराधिक आरोपों का जवाब देना होगा या नहीं। अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रतिरक्षा एक भारी विवादित मुद्दा है। यह तर्क दिया गया है कि राष्ट्रपतियों को कार्यालय में लिए गए निर्णयों के लिए कुछ प्रकार की कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना चाहिए। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति के लिए बाकी सभी से अलग कानून होगा?

4 आरोपों का सामना कर रहे हैं पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप

अमेरिका एक ऐसा देश है जो प्रत्येक नागरिक को समानता की अपनी फिलॉसफी पर गर्व करता है, ऐसे में यह एक कठिन सवाल है कि राष्ट्रपतियों को कुछ मामलों में छूट मिलनी चाहिए या नहीं। इस केस में सुप्रीम कोर्ट के जवाब न केवल संभावित रूप से संवैधानिक सिद्धांत को बदल देंगे, बल्कि इस साल के राष्ट्रपति चुनाव में क्या होगा, इसे भी बदल देंगे। ट्रंप मौजूदा समय में 4 आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिनमें शामिल हैं कि उन्होंने 2020 के चुनाव में हस्तक्षेप किया, जिसमें विवादास्पद 2021 कैपिटल हिल दंगों में उनकी कथित संलिप्तता भी शामिल है। आरोप अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा वॉशिंगटन डीसी कोर्ट सिस्टम के माध्यम से लगाए गए थे।

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अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट चाहे जो निर्णय दे, उस पर विवाद होना तय है।

…तो राष्ट्रपति पद की दौड़ से ट्रंप को हटना पड़ेगा?

मुकदमा 4 मार्च को शुरू होना था, फिर भी ट्रंप पूर्ण राष्ट्रपति छूट के आधार पर आरोपों को खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के संबद्ध मामले पर विचार-विमर्श के कारण अन्य मुकदमे में देरी होगी, जो चुनावी हस्तक्षेप का आरोप लगाता है और संभावित रूप से राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप की पात्रता को हटा सकता है। पूर्ण प्रतिरक्षा यह विचार है कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए किए गए कार्यों के लिए उनके खिलाफ कानूनी आरोप नहीं लगा सकते हैं। यह सामान्य ज्ञान जैसा लग सकता है। राष्ट्रपति को उनके काम के लिए कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराने से उन्हें देश चलाने में उनके द्वारा किए जाने वाले हर काम के लिए अदालत में घसीटा जा सकता है, जो कि बिल्कुल अव्यवहारिक है।

वास्तविक निर्णय जो भी हो, वह विवादास्पद होगा

बता दें कि अमेरिकी कानूनी प्रणाली में सुप्रीम कोर्ट अंतिम मध्यस्थ है और उनके पास कानूनी मिसाल कायम करने की क्षमता है। यह फैसला निस्संदेह एक ऐतिहासिक फैसला होगा क्योंकि यह मुद्दा सिर्फ ट्रंप के बारे में नहीं है बल्कि अमेरिकी संवैधानिक राजनीति और कार्यकारी शक्ति के बारे में है। अदालत के पास राष्ट्रपति की प्रतिरक्षा की स्थिति के बारे में एक बड़ा बयान देने या कम से कम प्रतिरक्षा लागू होने पर स्पष्ट मानक स्थापित करने का अवसर है। निर्णय यह तय कर सकता है कि भविष्य में राष्ट्रपतियों और पूर्व राष्ट्रपतियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं। वास्तविक निर्णय जो भी हो, वह विवादास्पद होगा। सुप्रीम कोर्ट जिस दिन इस मामले पर कोई फैसला सुनाएगा, उसके तुरंत बाद ट्रम्प पर मुकदमा नहीं चलेगा।

ट्रंप को फायदा भी पहुंचा सकता है यह मुकदमा!

प्रतिरक्षा के सिद्धांत के खिलाफ फैसला आने पर भी  मुकदमा तुरंत दोबारा शुरू नहीं होगा क्योंकि ट्रंप की कानूनी टीम को तैयारी के लिए समय दिया जाएगा। ट्रंप यह भी तर्क दे सकते हैं कि उन्हें बिना किसी मुकदमे के चुनाव प्रचार करने का अधिकार है। यह तय है कि ट्रंप का मुकदमा निश्चित रूप से अगले चुनाव से पहले नहीं होगा। इस देरी से ट्रंप न सिर्फ चुनावों से पहले मुकदमे से बचे रहेंगे, बल्कि केस के चलते सुर्खियों में भी बने रहेंगे। भले ही इसे निगेटिव पब्लिसीटी कहा जाए, ट्रंप के समर्थकों का उत्साह इससे बढ़ता ही है। यह मामला सिर्फ एक कानूनी मील का पत्थर नहीं है, बल्कि 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुने जाने में एक प्रमुख कारक भी है। (भाषा: द कन्वरसेशन)

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