नितिन गडकरी का पूरक उम्मीदवार बताकर नागपुर से बाबा ने भरा नामांकन, अब तक लड़ चुके हैं 53 चुनाव


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वेंकटेश्वर महास्वामी और नितिन गडकरी

लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की शुरुआत हो गई है। इसी बीच नागपुर में एक रोचक मामला सामने आया है जो कि सुर्खियों में है। नागपुर लोकसभा के लिए अब तक एक नामांकन दाखिल किया गया है और वह उम्मीदवार है वेंकटेश्वर महास्वामी। वेंकटेश्वर ने खुद को नितिन गडकरी का पूरक उम्मीदवार बताकर नामांकन दाखिल किया है। महाराज का कहना है कि वह नितिन गडकरी के प्रशंसक है। यह मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में रहते हैं।

गडकरी के फैन हैं बाबा, लेकिन कभी मिले नहीं

वेंकटेश्वर ने बताया कि वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समर्थक और प्रशंसक हैं। वह कभी नितिन गडकरी से मिले नहीं है, ना ही भाजपा के किसी नेता से मिले हैं। इन्होंने बीजेपी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार भी किया है। वेंकटेश्वर स्वामी का असली नाम दीपक गंगाराम कोटकधोंडा और यह अब तक 52 चुनाव लड़ चुके हैं। इनका कहना है कि वह नगर परिषद से लेकर लोकसभा, राज्यसभा तमाम चुनाव लड़ चुके हैं। अब उन्होंने नागपुर से पूरक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है, लेकिन वह चुनाव सोलापुर से लड़ेंगे। उनका कहना है कि वह नितिन गडकरी के काम से प्रभावित है इसलिए उनके विरोध में चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन पूरक उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में गडकरी के लिए मतदान का आह्वान करेंगे।

‘वेंकटेश्वर से बीजेपी का कोई संबंध नहीं’

भाजपा के महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष एवं नितिन गडकरी के चुनाव प्रभारी संजय भेंडे ने बताया कि वेंकटेश्वर से बीजेपी का कोई संबंध नहीं है। बीजेपी के किसी भी व्यक्ति ने उन्हें पूरक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने के लिए नहीं कहा है। उन्होंने कहा, भाजपा में इस तरीके की कोई परंपरा भी नहीं है। नामांकन दाखिल करते समय खुद को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का पूरक उम्मीदवार ठहराना अनुचित है।

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‘नामांकन के लिए पैसे देते हैं लोग’

वहीं, वेंकटेश्वर स्वामी महाराज का कहना है कि नितिन गडकरी ने पूरे भारतवर्ष में अच्छा कार्य किया है, सड़कों के लिए अच्छा कार्य किया है। साथ ही साथ सड़कों के किनारे पशु पक्षी और जानवरों के लिए तालाब बनाए हैं, ताकि उन्हें पानी मिल सके। यह पूछे जाने पर इतने पैसे आते कहां से हैं, इस पर महाराज का कहना है कि लोग नामांकन के लिए पैसा उन्हें देते हैं। अब तक वह 52 चुनाव लड़ चुके हैं। चाहे वह विधानसभा का हो लोकसभा का हो या राज्यसभा का हो।





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