‘यात्रा या पिकनिक’, नेपाली विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ के नौ दिवसीय चीन दौरे पर नेताओं ने कसा तंज/nepal foreign minister narayan kaji shrestha chooses china for his first foreign visit


प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)- India TV Hindi

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)

काठमांडू: नेपाल के उपप्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ पद संभालने के बाद अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर रविवार रात को चीन के दौरे पर रवाना हुए। श्रेष्ठ अपनी यात्रा के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने बिना कोई विवरण दिए एक बयान में कहा कि वांग के निमंत्रण पर अपनी नौ दिवसीय यात्रा के दौरान वह अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और उच्चस्तरीय गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात करेंगे।चीन यात्रा से पहले विदेश मंत्री श्रेष्ठ ने रविवार को विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श भी किया। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया की खबरों में कहा गया है कि चीनी नेताओं के साथ अपनी बैठक के दौरान श्रेष्ठ मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच हुए पिछले समझौतों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

बड़े नेताओं से मिलेंगे श्रेष्ठ

नेपाल के विदेश मंत्रालय की सचिव सेवा लम्साल ने पत्रकारों को बताया कि विदेश मंत्री श्रेष्ठ की चीन में वहां के विदेश मंत्री के अलावा सीपीसी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात तय है, जिनमें स्थाई समिति के सात में से एक नेता, चीन के वाइस प्रीमियर, कम से कम तीन प्रदेश के सीपीसी पार्टी सचिव, सीपीसी के विदेश विभाग के मंत्री प्रमुख हैं।

नेताओं ने कसा तंज 

इस बीच यहां ये भी बता दें कि, विदेश मंत्री श्रेष्ठ की इतनी लंबी यात्रा के लिए सीपीएन (यूएमएल) के नेताओं ने तंज कसा है। सीपीएन (यूएमएल) के प्रचार विभाग के प्रमुख विष्णु रिजाल ने एक्स पर विदेश मंत्री की नौ दिन लंबी यात्रा पर कटाक्ष किया है। उन्होंने लिखा कि विदेश मंत्री को इतनी फुर्सत कैसे हो जाती है कि वो नौ-नौ दिन की चीन यात्रा के लिए तैयार हो जाते हैं। नेपाल के विदेश मामलों में कई अन्य महत्वपूर्ण विषय हैं जिनसे विदेश मंत्री को रूबरू होना चाहिए। रूस और यूक्रेन में फंसे नेपाली नागरिकों की सुरक्षित वापसी की चिंता करने के बजाय विदेश मंत्री की नौ दिन की चीन यात्रा पिकनिक जैसी लग रही है। नेपाल सरकार को विदेश मामलों में और कूटनीतिक मामलों में संवेदनशील होने की आवश्यकता है। 

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