सेबी ने इस स्टील कंपनी और उसके प्रमोटर्स पर लगाया मोटा जुर्माना, जानें क्या है मामला


पीएसआईएल नियमों का पालन करने में विफल रहा।- India TV Paisa

Photo:FILE पीएसआईएल नियमों का पालन करने में विफल रहा।

खबर के मुताबिक, बाजार नियामक सेबी ने प्रभु स्टील इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पीएसआईएल) और इसके प्रमोटर्स पर नियामकीय मानदंडों के उल्लंघन के मामले में कुल 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को जारी एक आदेश में कहा कि पीएसआईएल और उसके प्रवर्तकों हरीश गंगाराम अग्रवाल, दिनेश गंगाराम अग्रवाल और अक्षिता हरीश अग्रवाल पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। भाषा की खबर के मुताबिक, इसके साथ ही सेबी ने यह जुर्माना 45 दिन के भीतर जमा करने का निर्देश दिया।

किसी भी कंपनी को गलत बयानी से बचना चाहिए

खबर के मुताबिक, सेबी को 14 फरवरी, 2022 को पीएसआईएल के मामले में राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण से एक समीक्षा रिपोर्ट मिली थी जिसमें कंपनी के लेखांकन और लेखा-परीक्षा मानकों के संबंध में गंभीर खामियों का जिक्र किया गया था। इसके बाद सेबी ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम और खुलासा नियमों के प्रावधानों के तहत पीएसआईएल के वित्तीय विवरणों में गलत बयानी की जांच की थी। इसमें पाया गया कि पीएसआईएल ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए गलत खुलासे और वित्तीय विवरण पेश किए थे। सेबी के मुताबिक, किसी भी कंपनी को वित्तीय विवरण में गलत बयानी से बचना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वार्षिक रिपोर्ट भ्रामक तस्वीर न पेश करे।

पीएसआईएल इन मामलों में रहा विफल

सेबी के आदेश के मुताबिक, पीएसआईएल मौजूदा लोन, एडवांस और बैंक बैलेंस के संबंध में हानि प्रावधानों, संचालन से राजस्व के रूप में शेयरों की बिक्री की मान्यता, संपत्ति पर मूल्यह्रास के लिए गैर-प्रावधान का आकलन करने में भी विफल रहा। इसके परिणामस्वरूप वित्तीय विवरणों की गलत प्रस्तुति हुई है और निवेशकों को गलत तस्वीर दी गई है। पीएसआईएल नियमों का पालन करने में विफल रहा और SCRA विनियमन और प्रकटीकरण नियमों का उल्लंघन किया।

नियामक ने पाया कि हरीश गंगाराम अग्रवाल पूर्णकालिक निदेशक थे और दिनेश गंगाराम अग्रवाल पीएसआईएल के अध्यक्ष और एमडी और प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक थे और वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कंपनी की सभी बोर्ड बैठकों में शामिल हुए थे। इसके अलावा, उन्होंने फॉर्म एमजीटी-9 (वार्षिक रिटर्न का सार), प्रबंधन चर्चा और विश्लेषण रिपोर्ट, कॉर्पोरेट प्रशासन रिपोर्ट, बैलेंस शीट, लाभ और हानि विवरण, कंपनी के नकदी प्रवाह विवरण पर हस्ताक्षर किए हैं।

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