लोअर मिडिल क्लास का किराये और किराने पर सबसे ज्यादा खर्च, सर्वे में मिली ये जानकारी


Lower Middle Class - India TV Paisa

Photo:FILE लोअर मिडिल क्लास

लोअर मिडिल क्लास अपनी कमाई का पैसा सबसे अधिक किराये और किराने के सामान खरीदने पर खर्च करने को मजबूर है। होम क्रेडिट इंडिया फाइनेंस प्राइवेट लि.(एचसीआईएन) के उपभोक्ता व्यवहार पर वार्षिक सर्वेक्षण ‘द ग्रेट इंडियन वॉलेट स्टडी’ से यह जानकारी मिली है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, औसत निम्न मध्यवर्गीय भारतीय ने सबसे अधिक 26 प्रतिशत किराने पर और 21 प्रतिशत किराये पर खर्च किया। इसके बाद यात्रा पर 19 प्रतिशत, बच्चों की शिक्षा पर 15 प्रतिशत और इलाज पर सात प्रतिशत खर्च किया गया। वहीं बचत के संदर्भ में सर्वेक्षण कहता है कि 60 प्रतिशत लोगों ने निश्चित खर्चों के बाद आपात खर्चों के लिए नकदी अपने पास रखी। 62 प्रतिशत पुरुषों ने बचत की बात स्वीकार की जबकि 50 प्रतिशत महिलाओं ने बचत करने की जानकारी दी।

आय बढ़ने की उम्मीद कर रहा मध्यमवर्ग  

देश में मौजूदा स्थिति और भविष्य की धारणा दोनों के संदर्भ में शहरी उपभोक्ताओं के बीच वित्तीय कल्याण से जुड़े सूचकांक में सुधार हुआ है। जहां लोगों ने अगले वर्ष तक अपनी आमदनी बढ़ने की उम्मीद जतायी है, वहीं उन्होंने अगले साल अधिक बचत और निवेश करने की भी बात कही है। सर्वेक्षण में शामिल 52 प्रतिशत प्रतिभागियों ने माना कि पिछले कैलेंडर वर्ष की तुलना में वर्ष 2024 में उनकी आय बढ़ी है। वहीं 74 प्रतिशत लोगों को अगले साल तक आय बढ़ने की उम्मीद है जबकि 66 प्रतिशत लोग आने वाले वर्ष में अधिक बचत और निवेश करने की मंशा जता रहे हैं। 

औसत आय में हुई वृद्धि 

अध्ययन के अनुसार, 2024 में व्यक्तिगत मासिक आय का औसत महानगरों में 35,000 रुपये और बड़े शहरों (टिअर 1) एवं मझोले शहरों (टिअर2) में 32,000 रुपये रहा। यह औसत पिछले साल महानगरों में 33,000 रुपये, बड़े शहरों में 30,000 एवं मझोले शहरों में 27,000 रुपये था। अध्ययन के अनुसार, वर्तमान स्थिति और भविष्य की धारणा दोनों के संदर्भ में शहरी और कस्बाई उपभोक्ताओं के बीच वित्तीय कल्याण सूचकांक में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि हुई है। 

इन शहरों में किया गया सर्वे

सर्वेक्षण दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, पटना, रांची, चंडीगढ़, देहरादून, लुधियाना और कोच्चि समेत 17 शहरों में किया गया। इसमें 18-55 वर्ष की आयु के करीब 2,500 लोग शामिल हुए जिनकी वार्षिक आय दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये थी। 

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