Rajat Sharma’s Blog | कन्याकुमारी में मोदी : विपक्ष ने मुद्दा बनाने में कैसी ग़लती की


Rajat Sharma, India TV- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

चुनाव प्रचार का शोर थम गया, 1 जून को आखिरी चरण की वोटिंग होगी और 1 जून की शाम को ही आप EXIT पोल देख सकेंगे। 4 जून को जनता का फैसला आ जाएगा। दिन में एक बजे तक तस्वीर साफ हो जाएगी। लेकिन प्रचार के आखिरी दिन पंजाब में इस चुनाव की आखिरी रैली को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कन्याकुमारी पहुंच गए। दो दिन मोदी कन्याकुमारी में रहेंगे। विवेकानंद शिला पर ध्यान लगाएंगे लेकिन ध्यानस्थ होने से पहले मोदी ने कहा कि जनता फैसला कर चुकी है, 4 जून को तीसरी बार मोदी सरकार एक बार फिर बनेगी। मोदी ने बताया कि उन्होंने अगले पांच साल का प्लान तैयार कर लिया है, पहले 125 दिन में क्या-क्या करना है, किसके लिए करना है और कैसे करना है, इसका रोडमैप साफ है। बस नतीजों का इंतजार है लेकिन विरोधी दलों के नेताओं को इस बात पर आपत्ति है कि मोदी कन्याकुमारी क्यों गए, विवेकानंद शिला पर ध्यान क्यों लगा रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं ने पूछा कि अगर मोदी 4 जून के बाद चले जाते तो कौन सा पहाड़ टूट जाता? उनका आरोप है कि मोदी का ध्यान वोटर्स को प्रभावित करने की कोशिश है, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। 

मल्लिकार्जुन खरगे, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक तमाम नेताओं ने इसी तरह की बातें कहीं लेकिन मोदी ने कहा कि विरोधी दलों के नेता उनकी चुप्पी को कमजोरी न समझें, उन्हें गुस्सा न दिलाएं, वरना वो सात पीढियों के पापों की लिस्ट जनता के सामने रख देंगे। कांग्रेस के नेता चुनाव आयोग से शिकायत तक कर आए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल जैसे नेताओं ने मोदी के मौन को चुनावी हथकंडा बताया। खरगे ने कहा, देश को समझने के लिए, गांधीजी के विचारों को समझने के लिए, जनता का दर्द समझने के लिए विवेकानंद शिला पर बैठने से कुछ नहीं होगा, इसके लिए पढ़ना पड़ता है, अपने अंदर झांकना होता है। जयराम रमेश ने कहा कि मोदी कन्याकुमारी जाकर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं, मोदी चार जून के बाद पूर्व प्रधानमंत्री हो जाएंगे, तब उनके पास वक्त ही वक्त होगा, चार जून के बाद कन्याकुमारी चले जाते तो बेहतर होता। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज़ कसा। कहा, कि इतनी गर्मी में चुनाव करवाकर मोदी तो ध्यान करने कन्याकुमारी निकल गए लेकिन गर्मी से परेशान जनता इस बार उन्हें सबक सिखाने वाली है। पटना में तेजस्वी यादव ने मोदी के ध्यान को नौटंकी बताया। तेजस्वी ने कहा कि ये सब मार्केटिंग के तरीके हैं, पिछली बार मोदी केदारनाथ गए, इस बार कन्याकुमारी जा रहे हैं, अगर उन्हें ध्यान ही करना है तो कैमरे लेकर क्यों जा रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी की एक मर्यादा होती है, उन्होंने इतना झूठ बोलने वाला ड्रामेबाज प्रधानमंत्री नहीं देखा, वरना कैमरे लेकर मेडिटेशन करने कौन जाता है। 

विरोधी दलों के नेताओं की आपत्ति का जवाब उन नेताओं की तरफ से आया, जो दो महीने पहले तक कांग्रेस के नेता थे। संजय निरूपम ने कहा कि ध्यान पर बैठना आन्तरिक शान्ति के लिए ज़रूरी है, ये शुद्धिकरण का आध्यात्मिक तरीका है, भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, और ये बात वो लोग नहीं समझेंगे जो नशा करके थकान उतारते हैं। रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या जाने के कारण कांग्रेस से निकाले गए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आसुरी शक्तियों से लड़ने की ऊर्जा हासिल करने के लिए कन्याकुमारी में ध्यान कर रहे हैं, इस बात का महत्व वो लोग नहीं समझ सकते जिनकी आस्था हिन्दुस्तान के अध्यात्म के बजाए वेटिकन की विरासत में हैं। 

मोदी कन्याकुमारी में सागर के बीचों बीच विवेकानंद शिला स्मारक में हैं। वे 45 घंटे तक ध्यानस्थ रहेंगे। 1 जून को वोटिंग खत्म होने तक मोदी यहीं रहेंगे। चुनावी राजनीति से दूर स्वामी विवेकानंद मैमोरियल के ध्यान मंडपम में ध्यान पर बैठे हैं। इसी जगह पर नरेन्द्र नाथ दत्त यानी स्वामी विवेकानंद ने दिसम्बर, 1892 में तीन दिन तक ध्यान लगाया था। उसके बाद 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसकी चहुंओर सराहना हुई थी। स्वामी विवेकानंद को यहीं पर ध्यान लगाते हुए भारत माता के दैवीय स्वरूप की अनुभूति हुई, विकसित भारत का विचार उनके मन में आया। 1970 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह एकनाथ रानाडे के प्रयासों से यहां विवेकानंद स्मारक बन कर तैयार हुआ। चूंकि नरेन्द्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में विकसित भारत का लक्ष्य रखा है, इसीलिए चुनाव के आखिरी दौर में प्रचार खत्म करने के बाद मोदी ने उसी जगह पर वक्त बिताने का फैसला किया जहां विवेकानंद को विकसित भारत का विचार आया। विवेकानंद स्मारक जाने से पहले मोदी कन्य़ाकुमारी में भगवती अम्मन मंदिर गए और पूजा की। 

मैं हैरान हूं कि मल्लिकार्जुन खरगे और ममता बनर्जी जैसे अनुभवी नेताओं ने मोदी के ध्यान को मुद्दा बनाया। वे भी जानते हैं कि ये ना तो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है और न ही विवेकानंद शिला पर ध्यान लगाने से मोदी को कोई वोटों का फायदा होने वाला है। पर मोदी के ध्यान की शिकायत करके, इस पर सवाल उठाकर विरोधी दलों ने इसपर जनता का ध्यान जरूर आकर्षित किया है। कांग्रेस और दूसरे विरोधी दलों ने इसी तरह की गलती अयोध्या के श्री रामजन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का बायकॉट करके की थी। उस समय किसी ने कहा कि उन्हें बुलाया नहीं गया, जवाब में विश्व हिंदू परिषद ने बता दिया कि सबको आमंत्रित किया गया था। किसी ने कहा कि मंदिर आधा अधूरा है, प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती, तो  शंकराचार्य ने इसका जवाब दे दिया। एक नेता ने कहा कि मंदिर की क्या जरूरत। इसका जवाब मोदी ने अपनी जनसभाओं में दिया। इस पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मोदी को उनके विरोधियों ने भरपूर मौके दिए, बार-बार गलतियां की। राहुल के राजनीतिक सलाहकार सैम पित्रोदा ने इनहेरिटेंस टैक्स का मुद्दा उस वक्त उठाया जब मोदी कांग्रेस पर लोगों की विरासत चुराने का आरोप लगा रहे थे। मणिशंकर अय्यर ने तो दो दो no ball फेंके। एक पाकिस्तान के एटम बम पर और दूसरी चीन के आक्रमण को कथित बता कर। मोदी ने दोनों बार गेंदों को बाउंड्री के पार पहुंचा दिया। अब कन्याकुमारी में मोदी के ध्यान पर जो सवाल उठाए गए हैं, इसका भी करारा जवाब मिलेगा।  अगर विरोधी दलों के नेता चुप रहते, तो ये इतना बड़ा मुद्दा न बनता। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 मई, 2024 का पूरा एपिसोड

Latest India News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *