बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करों ने की कायराना हरकत, BSF जवान पर किया हमला; गंभीर रूप से घायल


मवेशी तस्करों ने BSF जवान पर किया हमला।- India TV Hindi

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मवेशी तस्करों ने BSF जवान पर किया हमला।

नदिया: जिले की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बांग्लादेशी मवेशी तस्करों ने बीती रात बीएसएफ जवानों पर हमला कर दिया। इस हमले में एक बीएसएफ जवान गंभीर रूप से घायल हो गया। तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ जवानों के लगातार प्रयासों से हताश तस्करों ने भारत-बांग्लादेश सीमा के पास इस घटना को अंजाम दिया। बांग्लादेशी मवेशी तस्करों ने ये हमला 10 जून की रात करीब 11 बजे हुआ। हमले के दौरान बीएसएफ जवानों ने अवैध रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने की कोशिश कर रहे 6-7 तस्करों को रोकने की कोशिश की।

ट्रॉमा सेंटर में चल रहा इलाज

बीएसएफ जवानों द्वारा रोके जाने पर तस्करों ने बीएसएफ जवान पर तेज धारदार हथियार से हमला कर दिया। इससे जवान के कूल्हे, कमर और गर्दन पर गंभीर चोटें आईं। हमला इतना जोरदार था कि जवान की बेल्ट भी कट गई और राइफल और मैगजीन क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे मैगजीन से सभी गोलियां बिखर गईं। स्थिति को गंभीर देख जवान के एक साथी ने अपने पीएजी से गोली चलाई, लेकिन तब तक बांग्लादेशी बदमाश अंधेरे और घनी झाड़ियों का फायदा उठाकर बांग्लादेश भागने में सफल रहे। घायल जवान को तुरंत प्राथमिक उपचार के बाद कोलकाता के एसएसकेएम ट्रॉमा सेंटर में लाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

BGB के साथ बैठक कर दर्ज कराया विरोध

घटना के बाद बीएसएफ अधिकारियों ने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ कमांडेंट स्तर की बैठक की और कड़ा विरोध दर्ज कराया। साथ ही घटना में शामिल बांग्लादेशी बदमाशों के नाम साझा किए और बीजीबी से उनकी तत्काल गिरफ्तारी का आग्रह किया। सूत्रों ने बताया कि हमलावर बांग्लादेश के झेनइदाह जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के गांवों के हैं। बीएसएफ ने घटना की सूचना धनतला पुलिस स्टेशन को दी है और प्राथमिकी दर्ज की गई है।

कई जवान हो चुके हैं घायल

दक्षिण बंगाल सीमान्त के प्रवक्ता श्री ए. के. आर्या (डीआईजी) ने कहा कि बीएसएफ जवान अपनी जान की परवाह किए बिना भारत-बांग्लादेश सीमा पर सतर्क रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब तस्कर अपने नापाक इरादों में सफल नहीं होते हैं, तो वे हताश हो जाते हैं और जवानों पर हमला कर देते हैं, जिसके कारण कई बार हमारे जवान गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। जवान खुद की और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के साथ-साथ तस्करी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप तस्करों को अक्सर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

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