Rath Yatra In Puri: प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। ओडिशा के पुरी में होने वाली इस भव्य रथ यात्रा को देखने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं। रथ यात्रा का यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। पुरी समेत दूसरे शहर में भी जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जाती है। तो आइए जानते हैं कि इस साल पुरी में रथ यात्रा कब निकाली जाएगी।
रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा रथ में बैठकर अपनी गुंडिचा मंदिर जाते हैं। मान्यता है कि गुंडिता मंदिर भगवान जगन्नाथ का मौसी का घर है। इस मंदिर में तीनों भाई-बहन 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा को मंदिर में वापस स्थापित कर दिया जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। रथ यात्रा के दौरान तीनों भाई-बहन की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।कहते हैं कि भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने वाले को 100 यज्ञ कराने के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया का प्रारंभ- 7 जुलाई को सुबह 4 बजकर 26 मिनट से होगा। इस तिथि का समापन 8 जुलाई को सुबह 4 बजकर 59 मिनट तक होगा। रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 को निकाला जाएगा। जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को सुबह 8 बजकर 5 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक निकाली जाएगी। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से लेकर 01 बजकर 37 मिनट तक निकाली जाएगी। शाम 4 बजकर 39 मिनट से लेकर 06 बजकर 01 मिनट तक निकाली जाएगी।
जगन्नाथ मंदिर के बारे में
जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। जगन्नाथ मंदिर ही एक अकेला ऐसा मंदिर है जहां का प्रसाद ‘महाप्रसाद’ कहलाता है। महाप्रसाद को मिट्टी के 7 बर्तनों में रखकर पकाया जाता है। महाप्रसाद को पकाने में सिर्फ लकड़ी और मिट्टी के बर्तन का ही प्रयोग किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक रहस्य यह भी है कि कितनी भी धूप में इस मंदिर की परछाई कभी नहीं बनती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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