लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को करारी हार मिली थी। पार्टी के चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद इस बात की चर्चा तेज है कि राज्य में भाजपा संगठन और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इन चर्चाओं के बीच यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और राज्य बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी सोमवार को दिल्ली पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुलाया था। इस बीच लखनऊ से दिल्ली तक भाजपा के नेताओं के बैठकों का दौर चल रहा है। इन सबको लेकर विपक्ष भी बीजेपी पर हमलावर है।
एक तरफ जहां पीएम मोदी गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे, पीएम मोदी और अमित शाह के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत हुई। वहीं इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की है। इसके बाद अमित शाह और यूपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के बीच भी हुई मीटिंग। दोनों नेताओं के बीच बैठक करीब आधे घंटे तक चली।
दिनभर होती रही बयानबाजी
पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यहां तक कह डाला कि भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। अखिलेश ने अपने ट्वीट में लिखा है कि तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचनेवाला…
अखिलेश यादव के ट्वीट पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पलटवार किया और कहा, “सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव जी, भाजपा की देश और प्रदेश दोनों जगह मजबूत संगठन और सरकार है, सपा का PDA धोखा है। यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है, भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहरायेगी।”
योगी और केशव मौर्य ने कही थी ये बात
जेपी नड्डा से हुई मुलाकात के दौरान हुई बैठक में अपने संबोधन के दौरान केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि पार्टी संगठन सरकार से बड़ा है। सभी मंत्रियों, विधायकों और जन प्रतिनिधियों को पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान करना चाहिए और उनके सम्मान का ख्याल रखना चाहिए।
बता दें कि यूपी भाजपा कार्यकारिणी समिति की बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अति आत्मविश्वास ने लोकसभा चुनावों में बीजेपी को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा था, ‘2014 और उसके बाद के चुनावों में बीजेपी के पक्ष में जितने प्रतिशत वोट थे, बीजेपी 2024 में भी उतने ही वोट हासिल करने में सफल रही है, लेकिन वोटों की शिफ्टिंग और अति आत्मविश्वास ने हमारी उम्मीदों को नुकसान पहुंचाया है।’
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