इस वर्ष कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी दुकानों, होटलों और ढाबों के मालिकों को अपने नाम का प्लेट बाहर लगाना होगा। इस पर अब केंद्रीय मंत्री का एक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा जारी विवादास्पद निर्देश में ‘कुछ भी गलत नहीं’ है, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों और फल विक्रेताओं को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है।
केंद्रीय मंत्री ने इस आदेश का समर्थन ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले ही भाजपा के सहयोगी दलों जैसे कि रालोद(RLD), जद(यू) और लोजपा (रामविलास) ने इसका विरोध किया था; विपक्षी दलों ने भी इस आदेश की आलोचना की है और मांग की है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार इसे वापस ले।
‘निर्देश को धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए’
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं अन्य पार्टियों के लिए नहीं बोल सकता, लेकिन मुझे इस तरह के आदेश में कुछ भी गलत नहीं लगता। अगर कारोबार से जुड़े लोगों से कहा जाए कि वे अपना नाम और पता प्रमुखता से प्रदर्शित करें, तो इसमें क्या बुराई है?” हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने आगे कहा कि इस निर्देश को ‘धार्मिक चश्मे’ से नहीं देखा जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “वास्तव में, इस तरह के प्रदर्शन से खरीदारों के लिए किसी विशेष स्टॉल को पहचानना आसान हो जाता है। इस घटना को धर्म के चश्मे से देखना गलत है।”
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने क्या कहा?
वहीं, केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने इस निर्देश का विरोध किया। उन्होंने विरोध करते हुए कहा “जातिवाद और सांप्रदायिकता ने देश को किसी भी चीज से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।” बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडी(यू) के वरिष्ठ प्रवक्ता केसी त्यागी ने टिप्पणी की कि यह आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे के खिलाफ है।”
इस बीच, विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर ‘तीर्थयात्रा सीजन के दौरान मुस्लिम फल विक्रेताओं को व्यवसाय से बाहर करने’ का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
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