डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट करके की थी 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी, STF ने 6 को पकड़ा


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Image Source : UP STF
पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्पेशल टास्क फोर्स यानी कि UP STF ने 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की ठगी के एक मामले का पर्दाफाश करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। बता दें कि साइबर ठगों ने संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में एक न्यूरोलॉजिस्ट से धोखाधड़ी करते हुए 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम ठग ली थी। STF ने शुक्रवार को मामले का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपियों के पास से 8 मोबाइल फोन, 8 पासबुक, 9 HDFC बैंकिंग किट बरामद किया गया है और विभिन्न खातों में लगभग 30 लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं।

मुखबिर से मिली थी सूचना

STF की रिलीज के मुताबिक, आरोपियों की पहचान फैज उर्फ आदिल पुत्र जहीरूद्दीन, दीपक शर्मा पुत्र राजेंद्र प्रसाद, आयुष यादव पुत्र भोनू यादव, फैजी बेग पुत्र रफीकुद्दीन बेग, मोहम्मद उसामा पुत्र अब्दुल सलाम और मनीष कुमार पुत्र विजय कुमार के रूप में हुई है। एसटीएफ ने मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर शहीद पथ के पास पहुंचकर इन 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में आारोपियों ने बताया कि वे खुद को पुलिस या सीबीआई का अधिकारी बताकर लोगों को डराते-धमकाते हैं और उनके खाते से अपने खाते में पैसा ट्रांसफर करा लेते हैं।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?

बता दें कि ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ एक ऐसी रणनीति है, जिसमें साइबर अपराधी पीड़ितों को ठगने के लिए उन्हें घरों में कैद कर लेते हैं। अपराधी अक्सर एआई-जनरेटेड वॉयस या वीडियो तकनीक का उपयोग करके कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर ऑडियो या वीडियो कॉल करके डर पैदा करते हैं।  SGPGI मामले में ठगों ने खुद को CBI का अधिकारी बताकर डॉक्टर को 6 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस ने सीनियर डॉक्टर रुचिका टंडन के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।

कानूनी कार्रवाई की दी थी धमकी

सूत्रों के मुताबिक, ठगों ने रुचिका को यह दावा करके डराया था कि जेट विमानन कंपनी के मालिक से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनका नाम सामने आया है। ठगों ने उन्हें कई अकाउंट्स में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी। वीडियो कॉल करने वाले शख्स ने रुचिका से यह भी कहा कि उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत रखा जा सकता है, बशर्ते वह अपने परिवार को हालात के बारे में कुछ नहीं बताएंगी। इसकी आड़ में ठगों ने डॉक्टर को अपने नियंत्रण वाले कई बैंक खातों में बड़ी रकम जमा करने के लिए राजी कर लिया।

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