राजौरी : जम्मू कश्मीर के राजौरी के थाना मंडी इलाके में फायरिंग की घटना हुई है। फायरिंग की सूचना मिलते ही भारतीय सेना और एसओजी ने इलाके की घेराबंदी कर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया है। बताया जाता है कि इलाके में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं जानकारी के मुताबिक थाना मंडी इलाके में पुलिस की टीम पर फायरिंग की गई। हालांकि फायरिंग की इस घटना में पुलिस की टीम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। फिलहाल इलाके की घेराबंदी कर दी गई और आतंकियों की तलाश की जा रही है।
सुरक्षा बल पूरी तरह अलर्ट
बता दें कि कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में तेजी आई है। सुरक्षा बल पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं। खासतौर से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर खास सतर्कता बरती जा रही है। आतंकी एक बार फिर चुनाव प्रक्रियाओं को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं।
इससे पहले सुरक्षा बलों ने सोमवार को जम्मू कश्मीर के सांबा जिले के सीमावर्ती इलाके में एक ड्रोन द्वारा गिराए गए हथियार एवं गोला-बारूद बरामद किए। अधिकारियों ने बताया कि रात के समय ड्रोन से सामग्री गिराए जाने की खुफिया सूचना मिलने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने रामगढ़ सेक्टर में तलाशी अभियान शुरू किया। उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान तीन पिस्तौल एवं अन्य गोला-बारूद बरामद किए गए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पुलिस को सक्रिय कर दिया गया है तथा तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है।
हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच कई मुठभेड़ हुई हैं, जिनमें कई आतंकवादी और उनके कमांडर मारे गए हैं। सुरक्षा बलों को भी नुकसान हुआ है। शुरुआत में पुंछ और राजौरी जिलों तक सीमित आतंकवादी गतिविधियां अब जम्मू के अन्य क्षेत्रों में फैल रही हैं, जो कुछ साल पहले तक ऐसी घटनाओं से अपेक्षाकृत मुक्त थे – जैसे चिनाब घाटी जिसे आतंकवाद मुक्त घोषित किया गया था, और उधमपुर और कठुआ। पूरी तरह से प्रशिक्षित आतंकवादी सुरक्षा बलों के और आम पर्यटकों के वाहनों पर घात लगाकर हमला कर रहे हैं और ग्रेनेड तथा कवच-भेदी गोलियों के साथ-साथ एम4 असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर घाटी को जम्मू से विभाजित करने वाले पीर पंजाल क्षेत्र में आतंकवाद में उछाल देखा गया है। कश्मीर में लगातार जारी आतंकवाद विरोधी अभियानों ने आतंकवादियों को पहाड़ों पर धकेल दिया है, जहां वे छिप जाते हैं और सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए सही समय का इंतजार करते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जम्मू में बढ़ते आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें खुफिया जानकारी जुटाना और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय शामिल है।