उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि महिलाओं के खिलाफ भेदभाव पर कड़ी चोट करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने “पुरुष समाज” से आग्रह किया कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, अपनी मानसिकता बदल लें। उन्होंने कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के रेप-हत्या की भी निंदा की और कहा कि लोगों को इस टिप्पणी की निंदा करनी चाहिए कि यह घटना ‘सिम्पटोमेटिक मलाइस’ थी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिला आरक्षण कानून लागू होने के बाद, अधिक महिलाएं निर्णय लेने और शासन का हिस्सा होंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग महिलाओं को कमजोर कहते हैं, वे गलत हैं। महिला सशक्तिकरण को महिलाएं ही बढ़ावा देंगी।
कोलकाता मामले का जिक्र कर किस पर साधा निशाना?
धनखड़ का मानना है कि शिक्षा असमानता को कम करती है। उन्होंने कहा, “लिंग भेदभाव खत्म हो गया है, लेकिन इसने कुछ रूप ले लिए हैं। प्रत्यक्ष भेदभाव से लड़ा जा सकता है, लेकिन सूक्ष्म भेदभाव से नहीं। हमें इस पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।” कोलकाता मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हमें ऐसे पागलपन भरे विचारों को पूरी तरह से खारिज करना चाहिए तथा उनसे घृणा करनी चाहिए जो कोलकाता में अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की बर्बरता को कमतर आंकते हैं।”
उन्होंने कहा, कोई इसे ‘सिम्पटोमेटिक मलाइस’ कहता है। कितनी शर्म की बात है। हमारा दिल दुखना चाहिए।” उनका इशारा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उस प्रस्ताव की ओर था जिसमें वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कथित तौर पर कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार-हत्या को ‘सिम्पटोमेटिक मलाइस’ बताया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)