जम्मू कश्मीर में बंपर वोटिंग, नीली स्याही वाली इन तस्वीरों से देख पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची; Photos


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जम्मू कश्मीर के मतदाता

जम्मू कश्मीर में जहां 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा के लिए वोटिंग हो रही है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के फर्स्ट फेज में आज 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर बंपर वोटिंग हो रही है। जिस जम्मू कश्मीर में चुनाव का नाम सुनते ही लोग डर जाते थे, घरों से नहीं निकलते थे। उसी नए जम्मू कश्मीर में सुबह से ही वोटरों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। अनंतनाग हो या डोडा, किश्तवाड़ हो या शोपियां हर जगह वोटरों को लंबी तादाद देखने को मिल रही है। सुबह से ही बड़ी संख्या में वोटर्स पोलिंग बूथों पर पहुंच रहे हैं और वोट डाल रहे हैं। अभी भी करीब 1 घंटे की वोटिंग बची हुई है यानि शाम 6 बजे तक वोटर्स अपना वोट डाल सकते हैं।

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मतदान केंद्रों पर वोटर्स की लंबी-लंबी कतारें

जो अनंतनाग पहले बंदूकों के साये में रहता था वहां आज वोटिंग हो रही है। अनंतनाग के वोटर्स कह रहे हैं कि उनके लिए विकास बड़ा मुद्दा हैं और अनुच्छेद 370 को वो राजनीतिक मुद्दा बता रहे हैं। शोपियां में सुबह से ही लंबी-लंबी कतारें लगी है। शोपियां जिले में विधानसभा की दो सीटों पर वोटिंग हो रही है। शोपियां विधानसभा सीट पर अब तक 45 फीसदी और जैनापोरा में करीब 42% वोटिंग हुई है। 

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उमर अब्दुल्ला ने जताई खुशी

विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटिंग पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने खुशी जताई है। उमर अबदुल्ला ने कहा है कि हमें 10 साल से इस दिन का इंतजार था। कश्मीर घाटी में आज जो 16 सीटों पर वोटिंग हो रही है उसमें बड़ी संख्या में वैसे कश्मीरी हिंदू वोटर्स भी हैं। जो कश्मीर घाटी को छोड़कर जम्मू के जगती इलाके में जाकर बस गए थे। इनके लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इलेक्शन कमिशन ने कश्मीरी प्रवासियों के लिए स्पेशल पोलिंग बूथ बनाए जहां बड़ी संख्या में कश्मीरी प्रवासी वोट डालने पहुंचे।

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कश्मीरी पंडितों के हब्बा कदल में बदल गया माहौल?

जम्मू कश्मीर के फर्स्ट फेज के चुनाव में वोटरों में खासा उत्साह दिख रहा है। किश्तवाड़ में तो 62% से ज्यादा वोटिंग हुई है। कश्मीरी हिंदू भी वोटिंग में हिस्सा ले रहे हैं। श्रीनगर की हब्बा कदल सीट, जहां सेकंड फेज में चुनाव होना है और ये कभी कश्मीरी पंडितों का गढ़ हुआ करता था लेकिन 1990 के बाद से यहां की तस्वीर कुछ बदल सी गई है।

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मतदान केंद्रों पर वोटर्स की कतारें

झेलम नदी के किनारे बसा श्रीनगर का डाउनटाउन एरिया हब्बा कदल के नाम से जाना जाता है। 2019 से पहले ये पत्थरबाजी और हिंसा का एपिक सेंटर हुआ करता था लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब यहां शांति है। 25 सितंबर को यानी सेकंड फेज में यहां वोटिंग होनी है जिसके लिए 16 उम्मीदवार मैदान में हैं।





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