मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे कांग्रेस में शामिल, उद्धव ठाकरे के माने जाते हैं करीबी


मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे कांग्रेस में शामिल- India TV Hindi

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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे कांग्रेस में शामिल

मुंबईः मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे अब राजनीतिक पारी खेंलेंगे। संजय पांडे ने गुरुवार को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। संजय पांडे ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि साल 2004 से ही वे कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे लेकिन सही वक़्त अब आया है।

प्रदेश में सरकार बनने का किया दावा

संजय पांडे ने दावा किया कि इस बार प्रदेश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि जब महा विकास अघाड़ी सत्ता में आएगी तो आम आदमी को डरने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने महायुति (एनडीए) की आलोचना करते हुए कहा कि मैं कह सकता हूं कि मेरे खिलाफ कैसे झूठे मामले दर्ज किए गए थे।

कांग्रेस नेताओं ने किया संजय पांडे का स्वागत


 

वही संजय पांडे के कांग्रेस में शामिल होने पर इंडिया टीवी से बात करते हुए कांग्रेस नेता असलम शेख़ ने कहा कि ईडी और सीबीआई का गलत इस्तेमाल ही संजय पांडे की गिरफ्तारी की वजह बनी थी। बीजेपी को संजय पांडे के कांग्रेस में शामिल पर सवाल पूछने का कोई हक नहीं है। असलम शेख के मुताबिक संजय पांडे जैसे पढ़े लिखे लोगो का कांग्रेस में स्वागत है।

अवैध फोन टैपिंग के मामले में ईडी ने किया था गिरफ्तार

बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे को 2009 से 2017 तक एनएसई कर्मचारियों के कथित अवैध फोन टैपिंग के मामले में ईडी ने जुलाई 2022 में गिरफ्तार किया था। पांच महीने जेल में रहने के बाद संजय पांडे को दिसंबर 2022 में बेल मिली थी। 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे संजय पांडे मुंबई के पुलिस कमिश्नर के साथ साथ महाराष्ट्र के डीजीपी भी रह चुके हैं। पूर्व अधिकारी संजय पांडे शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के भी करीबी माने जाते रहे हैं।

कानपुर आईआईटी के छात्र रहे हैं संजय पांडे

बता दें कि संजय पांडे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर के पूर्व छात्र हैं, जहां उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान में प्रौद्योगिकी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई में क्रॉम्पटन ग्रीव्स में इंटर्नशिप की। वह 1986 में आईपीएस में शामिल हुए, जहां वह सहायक पुलिस अधीक्षक थे और 1990 में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नत हुए। 1992-93 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगों के दौरान, वह पुलिस उपायुक्त थे, जब उन्होंने कुख्यात मोची घोटाले का खुलासा किया तो उन्हें डीसीपी के रूप में आर्थिक अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया।





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