पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में हैं। जब से उनके कॉन्सर्ट दिल लुमिनाटी इंडिया का ऐलान हुआ इसकी टिकटें कुछ ही मिनटों में सोल्ड आउट हो गईं। पंजाबी सिंगर के कॉन्सर्ट की टिकटों की कीमत 1500 से शुरू हुई और 20000 तक में बिकी, जिसे लेकर कुछ लोगों ने नाराजगी जाहिर की तो कुछ का कहना था कि दिलजीत इन दिनों अपने करियर के पीक पर हैं और वह ये डिजर्व करते हैं। दिलजीत, अपनी निजी जिंदगी और परिवार को दर्शकों से छिपाकर रखने के लिए भी जाने जाते हैं। लेकिन, अब दिलजीत ने पहली बार दुनिया को अपने परिवार से रूबरू कराया है। दिलजीत इन दिनों अपने दिल लुमिनाटी टूर के लिए यूके में परफॉर्म कर रहे हैं, इसी म्यूजिक कॉन्सर्ट के दौरान उन्होंने शनिवार को मैनचेस्टर में फैंस को अपनी मां और बहन से रूबरू कराया।
दिलजीत ने सालों बाद किया ये काम
कई सालों से सिंगर अपने परिवार को दुनिया से दूर रखते आए हैं। हालांकि, उन्होंने साल की शुरुआत में उनका उल्लेख किया था, फिर भी उन्होंने उनकी पहचान गुप्त ही रखी। थे। लेकिन ऐसा लगता है कि आखिरकार, दिलजीत दुनिया को उनके बारे में बताने के लिए तैयार हैं। मैनचेस्टर में अपने कॉन्सर्ट के दौरान सिंगर अचानक एक महिला के सामने झुके और फिर उन्हें गले लगा लिया। फिर उनका हाथ पकड़कर कहा- ‘ये मेरी मां है।’ दिलजीत ने जब अपनी मां को गले लगाया तो उनकी भी आंखें भर आईं। इसके बाद वह एक और महिला के सामने झुके, उसका हाथ पकड़ा और फिर कहा- ‘ये मेरी बहन है, मेरा परिवार आज यहां आया है।’
दिलजीत ने मां का परिचय दुनिया से कराया गया
जिन लोगों को दिलजीत के गाने ‘हस्स हस्स’ के बोल याद हैं उन्हें अब इसके पीछे की असली वजह पता चल जाएगी। गाने की पंक्तियां गाते हुए, “दिल तेनु दे दित्ता मैं तां सोनेया, जान तेरे कदम च राखी होई ए,” और अपनी मां सुखविंदर कौर को दुनिया से परिचित कराया। सोशल मीडिया पर उनका ये वीडियो चर्चा में बना हुआ है।
मामा के साथ रहे दिलजीत दोसांझ
दिलजीत ने इस साल की शुरुआत में खुलासा किया था कि उनके माता-पिता ने उन्हें उनके मामा को सौंप दिया था, जिसके चलते लंबे समय तक वह अपने पेरेंट्स से नाराज थे। दिलजीत ने रणवीर अलाहाबादिया के पॉडकास्ट में बात करते हुए कहा था- “मैं ग्यारह साल का था जब मैंने अपना घर छोड़ दिया और अपने मामाजी (मामा) के साथ रहना शुरू कर दिया।” “मैंने अपना शहर छोड़ दिया और महानगर की ओर चला गया। मैं लुधियाना चला गया। जब उन्होंने मेरे माता-पिता से कहा कि उसे मेरे साथ शहर भेज दो, तो उन्होंने जवाब दिया, “हां, उसे ले जाओ,” यहां तक कि मेरे माता-पिता ने भी मुझसे नहीं पूछा।”