बेरूत: इजरायल लेबनान में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के ठिकानों को लगातार निशाना बना रहा है। इस बीच बेरूत और उसके आसपास इजरायली वायुसेना ने घातक हवाई हमले किए गए। इजरायल की ओर से किए गए हवाई हमलों में 12 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इन हमलों में लेबनान के सबसे बड़े सार्वजनिक अस्पताल को ऊई भारी नुकसान पहुंचा है। लेबनानी स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी है।
निशाने पर हैं हिजबुल्लाह के ठिकाने
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायल की तरफ से किए गए हवाई हमलों में 57 अन्य लोग घायल भी हुए हैं। इस हमले में दक्षिणी बेरूत के बाहरी इलाके में स्थित रफीक हरीरी विश्वविद्यालय अस्पताल के सामने की कई इमारतें भी नष्ट हुई हैं। इजरायल की सेना ने बिना विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि उसने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया था। सेना ने अस्पताल को निशाना नहीं बनाया था।
हिजबुल्लाह ने दागे रॉकेट
हिजबुल्लाह ने भी पलटवार करते हुए मध्य इजराइल में कई रॉकेट दागे हैं। हिजबुल्लाह की ओर से किए गए इन हमलों किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। यह हमला गाजा युद्ध विराम वार्ता को फिर से शुरू करने के मिशन पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन के क्षेत्र में पहुंचने से कुछ घंटे पहले हुआ। इजरायली सेना ने कहा कि लेबनान से इजरायल में रॉकेट दागे गए और इनमें से अधिकतर को एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नष्ट कर दिया।
Israel Hezbollah War Air Strike in Beirut
पीएम नेतन्याहू ने लिया है संकल्प
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को खत्म करने और आतंकी समूह द्वारा बंधक बनाए गए दर्जनों लोगों को मुक्त कराने का संकल्प लिया है। वहीं, हमास का कहना है कि वह स्थायी युद्ध विराम, गाजा से इजरायली सैनिकों की पूरी तरह वापसी और फलस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में ही बंधकों को रिहा करेगा।
हमास के आतंकियों ने किया था हमला
बता दें कि, पिछले साल सात अक्टूबर को हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला किया था। इस आतंकी हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 250 अन्य का अपहरण कर लिया गया था। इसी के बाद से इजरायल लगातार हमास के ठिकानों पर हमले कर रहा है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, गाजा में इजरायल के जवाबी हमले में 42,000 से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए हैं। युद्ध से गाजा के ज्यादातर इलाके तबाह हो चुके हैं और इसकी 23 लाख की आबादी में से लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो गए हैं। (एपी)
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