मणिपुर हिंसा: अब तक 258 लोगों की मौत, केंद्र सरकार ने पैरामिलिट्री फोर्स की 90 यूनिट भेजी, शांति बहाल करने पर जोर


Manipur Security forces checkeing- India TV Hindi

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जांच करते सुरक्षाकर्मी

देश के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसा जारी है। अब विधायकों सांसदों को भी हमले का डर सता रहा है और कई नेता घर के बाहर बाड़ लगवा रहे हैं। इस बीच मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया कि राज्य में पिछले साल मई में शुरू हुई हिंसा में अब तक 258 लोगों की मौत हो चुकी है। लगभग 19 महीने से जारी हिंसा के चलते हजारों लोग बेघर हुए हैं। उपद्रवियों ने कई सुरक्षाकर्मियों को भी निशाना बनाया है और उनसे हथियार लूटे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्य में शांति स्थापित करने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स की 90 टीमें भेजी हैं। इन टीमों को लंबे समय के लिए मणिपुर में नियुक्त किया गया है। मणिपुर में पहले से पैरामिलिट्री फोर्स की 198 यूनिट मौजूद हैं।

सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘इस हिंसा में अब तक आतंकवादियों सहित कुल 258 लोगों की जान जा चुकी है।’’ सुरक्षा सलाहकार ने बताया कि मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों में तोड़फोड़ एवं आगजनी के सिलसिले में 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि करीब 3,000 लूटे गए हथियार बरामद किए गए हैं। 

लंबे समय के लिए की गई तैनाती

पैरामिलिट्री फोर्स के जवान बफर जोन में तैनात रहेंगे। ये जवान उन उग्रवादी संगठनों को रोकेंगे, जो मेइती और कुकी समुदाय के लोगों को निशाना बना रहे हैं। इसके साथ ही ये जवान उपद्रवियों से वे हथियार भी वापस लेंगे, जो उन्होंने सुरक्षाबलों पर हमला कर लूटे थे। पैरामिलिट्री फोर्स के जवान राज्य में कानून व्यवस्था कायम करेंगे। इसी वजह से इनकी तैनाती लंबे समय के लिए की गई है और हालात सामान्य होने के बाद ही इन टीमों को वापस बुलाया जाएगा।

मणिपुर के नौ लोगों के शव परिजनों को सौंपे

मणिपुर के नौ लोगों के शव असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएमसीएच) में उनके परिजनों को सौंप दिए गए। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से छह शव उन लोगों के हैं, जिनकी जिरीबाम में अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। उन्होंने बताया कि शवों का पोस्टमार्टम मणिपुर के जिरीबाम जिले की सीमा से लगे सिलचर जिले के एसएमसीएच में किया गया। मृतकों के परिजनों ने शुरू में न्याय मिलने तक शव लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि, बाद में वे शव लेने के लिए राजी हो गए क्योंकि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) हिंसा की घटनाओं की जांच कर रही है। परिवार के सदस्य यह भी मांग कर रहे थे कि मारे गए कुकी समुदाय के 10 लोगों को उग्रवादी घोषित किया जाए, क्योंकि वे हथियारों के साथ चुराचांदपुर से जिरीबाम आए थे। (इनपुट- पीटीआई भाषा)





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