महाराष्ट्र: लोकसभा चुनाव में हार के बाद BJP ने 5 महीने में कैसी पलटी बाजी? जानिए इस प्रचंड जीत की INSIDE STORY


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मुंबई: इसी साल जून में संपन्न लोकसभा चुनावों में बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति को महाराष्ट्र में अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इससे विधानसभा चुनावों में इतनी बड़ी सफलता की उम्मीद नहीं रह गई थी। लेकिन बीजेपी ने महज 5 महीनों में ही पूरी बाजी पलटकर रख दी। 288-सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में महायुति गठबंधन ने 230 सीट जीतकर इतिहास रच दिया। भाजपा को 132 सीट मिलीं, शिवसेना को 57, एनसीपी को 41 सीट मिलीं। एमवीए में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवारों ने 10 और कांग्रेस ने 16 सीट जीतीं, जबकि शिवसेना (UBT) ने 20 सीट पर जीत दर्ज की। 

जातियों में बंटे समाज को कैसे जोड़ा?

अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बीजेपी ने महज 5 महीने में कैसी पलटी बाजी? पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और संघ ने कैसे मिलकर काम किया? सज्जाद नोमानी के वोट जिहाद के फतवे को कैसे काउंटर किया? जातियों में बंटे समाज को कैसे जोड़ा और वेलफेयर की योजनाओं को समाज के आखिरी तबके तक कैसे पहुंचाया? महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन के अकल्पनीय जीत की इनसाइड स्टोरी का खुलासा किया है महायुति के कोऑर्डिनेटर प्रसाद लाड ने…प्रसाद लाड बीजेपी विधायक हैx और फडणवीस के सबसे विश्वसनीय साथियों में से एक हैं। 

इंडिया टीवी से बातचीत में प्रसाद लाड ने बताया लोकसभा चुनाव नतीजे का अध्ययन किया गया। हर बूथ पर बीजेपी को मिले वोट के आधार पर तीन कैटेगरी बनाई गई A, B, C

A – जहां 50 फ़ीसदी से ज्यादा वोट मिले 

B – 35 से 50 फ़ीसदी

C – 20 से 35 फ़ीसदी 

हर कैटेगरी के बूथ पर 20 वोट बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया। 

  1. 90 हजार बूथ प्रमुखों की नियुक्ति की गई, 24000 शक्ति केंद्र बनाए गए।
  2. हर विधानसभा सीट पर करीब 40 प्रवासी नियुक्त किए गए। 
  3. जिस भी विधानसभा क्षेत्र में बाग़ी खड़े हुए उनपर तत्काल कार्रवाई की गई और पार्टी से निकला गया। यह सुनिश्चित किया गया कि बागी उम्मीदवारों के साथ स्थानीय संगठन खड़ा ना हो।
  4. महाराष्ट्र के दलित और पिछड़े समाज के 19 प्रमुख जातियों से सीधा संपर्क किया गया। इन जातियों के प्रमुख लोगों का विश्वास जीतकर समाज के अंतिम तबके तक पहुंचने का प्रयास किया गया। संविधान खत्म होने को लेकर जो फेक नैरेटिव दलित समाज में फैलाया गया था उसे खत्म किया गया।
  5. वोट जिहाद का काउंटर करने के लिए भाजपा संगठन, बीजेपी का मित्र परिवार (RSS), साधु-संत समाज की सहायता ली गई। देव-धर्म-राष्ट्र की रक्षा के लिए साथ आने की दुहाई दी गई। प्रचारकों की मदद से हिंदू समाज में मैसेज पहुंचाया गया कि अगर एक नहीं हुए तो हिंदू समाज संकट में आ जाएगा। 
  6. आरक्षण पर मनोज जरंगे पाटिल के लगातार बदलते स्टैंड को एक्सपोज किया गया। शरद पवार और महाविकास अघाड़ी से जरांगे की करीबी का खुलासा किया गया।
  7. लाडली बहन योजना के सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र के हर गांव तहसील जिले और शहर में महिला सम्मेलनों का आयोजन किया गया। इन सम्मेलनों में कांग्रेस नेता सुनील केदार, विजय वड्डेटीवार और उद्धव ठाकरे के बयानों का हवाला देकर कहा गया कि अगर महाविकास अघाड़ी सत्ता में आई तो लाडली बहन योजना को बंद कर दिया जाएगा। बीजेपी का कहना है कि वह लाडली बहनाओं को यह मैसेज देने में कामयाब रहे कि MVA सत्ता में आई तो लाडली बहनाओं को मिलने वाले पैसे बंद हो जाएंगे।
  8. किसानों के बिजली बिल को माफ करना, प्याज निर्यात पॉलिसी को लेकर सरकार की सकारात्मक नीति, मराठा समाज के विद्यार्थियों के लिए सरकारी योजनाएं सहित तमाम प्रमुख योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाया गया।
  9. बीजेपी ने न सिर्फ अपने लिए बल्कि महायुति के दोनों घटक दल शिवसेना और एनसीपी (अजीत पवार) के लिए भी जमीन पर जमकर पसीना बहाया। सभी कार्यकर्ताओं को साफ मैसेज दिया गया था कि तमाम मतभेद बुलाकर महायुति को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाए।
  10. समाज की जो 40 फ़ीसदी आबादी है जिसे वेलफेयर स्कीम का लाभ नहीं मिलता है, उसे विचारधारा से जोड़ा गया। डबल इंजन सरकार के आने से कैसे राज्य का विकास होगा यह मैसेज सक्सेसफुली डिलीवर किया गया।





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